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उज्जैन में दो साल से सिटी बस जनता से दूर, न लोगों को सुविधा मिल पा रही न अफसर गंभीरता बरत रहे

12 रूट पर 25 बसों का संचालन होता था, अब पांच बसे ही शुरू हो सकी उसमें एक भी शहर में नहीं संचालित

उज्जैनFeb 12, 2022 / 11:11 pm

aashish saxena

city bus

12 रूट पर 25 बसों का संचालन होता था, अब पांच बसे ही शुरू हो सकी उसमें एक भी शहर में नहीं संचालित

 

जितेंद्रसिंह चौहान. उज्जैन। स्मार्ट होते शहर को सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के तहत सिटी बस की सौगात मिली थी। इससे आठ लाख आबादी वाले शहर के बाशिंदे को सस्ती व सुविधाजनक यात्री की सहुलियत मिली थी। अफसरों की ढीलपोल के चलते यह सुविधा शहरवासियों से एक प्रकार से छीन सी गई है। बीते दो सालों से सिटी बस आम जनता से दूर हो गई। स्थिति यह है कि समय रहते बसों का रखरखाव, टेंडर नहीं होने से बसों का संचालन ही नहीं हो पाया। वहीं अब सिटी बसों का टेंडर हुआ है तो कबाड़ बन चुकी बसों को दूरुस्त करने में लंबा वक्त लग गया। दो साल पहले तक १२ रूटों पर करीब २५ बसें दौड़ती थी लेकिन पिछले दिनों महज पांच बसें ही जैस-तैसे सड़क पर आ पाई है, यह बसें भी उपनगरीय चल रही है, शहर में तो यह सुविधा है ही नहीं। इन सब के बीच आम यात्री निजी परिवहन की मनमानी के आगे मजबूर है।

जनप्रतिनिधियों से लेकर बड़े अधिकारी शहर में पर्यटन विकास को बढ़ावा देने के दावे कर रहे हैं लेकिन इसके लिए हो रहे प्रयासों की जमीनी हकीकत सिटी बस सेवा बता रही है। शहर में दो साल से सिटी बस सेवा ऑफ रोड हैं। पहले कोरोना और फिर टेंडर के नाम पर जरूरी सेवा जनता से दूर रही है और अब टेंडर होने के बाद अब संधारण व परमिट के चलते बसे पूरी क्षमता से शुरू नहीं हो पा रही है। पांच बसे अवश्य शुरू की गई है उसमें से तीन बसें तराना रूट पर तो दो बसें चंद्रावतीगंज के चल रही है, लेकिन शहर में एक भी बस का संचालन नहीं हो रहा। दरअसल बीते सालों में शहरी परिवहन योजना के नाम पर जिम्मेदारों की रूचि बसों को जनता के लिए चलाने में नहीं रही है। ऐसे में सरकार से करोड़ों रुपए की बसें मिलने के बाद भी उज्जैन में शहरी परिवहन पूरी तरह निजी ऑटो-मैजिक पर निर्भर है। यात्रियों के पास सिटी बस जैसा शासकीय सेवा का कोई विकल्प नहीं है। नतीजतन शहरी यात्री मनमाना किराया चुकाने के लिए मजबूर हैं।

ऐसी रैंगती रही सिटी बस की सेवा

– जेएनएनयूआरएम में नगरनिगम को स्वीकृत 40 सीएनजी बसों में से 39 बसें मिली थी।
– कुछ वर्ष संचालन के बाद यह बसें खराब होने लगी और इन्हें एक-एक कर ऑफरोड कर दिया गया। बाद में यह बसें बद हो गई।
– बाद में निगम-यूसीटीएसएल को 50 मिनी डीजल बसें मिली। .
इनका संचालन भी विवादों में रहा और आधी बसें ही रोड पर दौड़ सकी।
– टेंडर अवधि समाप्त होने के बाद भी पुराने ऑपरेटर से बसों का संचालन करवाया।
-भुगतान का मामला उलझा। जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और समय रहते निराकरण नहीं किया।
– कुछ गीनती की बसें चल रही थीं, कोरोना काल में उन्हें भी बंद कर दिया गया।
– नए ऑपरेटर के लिए तीन-चार बार टेंडर जारी करे। इसमें भी धीमी प्रक्रिया अपनाई गई।
– तीन-चार महीने पूर्व टेंडर फाइनल हुआ तो लंबे समय से बंद पड़ी बसों के संधारण का मुद्दा आया। कंपनी से एस्टिमेट तैयार करवाया।
-बोर्ड बैठक के इंतजार में संधारण.संचालन पर कोई निर्णय नहीं हुआ।
– आखिर में ऑपरेटर द्वारा अपने खर्च पर 10 बसें संचालित करने की बात कही। इसमें फिलहाल पांच बसें सड़क पर उतर पाई।

इन रूट चलना है बसे

क्लस्टर-1
१. तपोभूमि से कालियादेह महल (शहरी मार्ग)- 2 बस
२. इंजीनियरिंग कॉलेज से आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज (शहरी मार्ग)- 2 बस
३.उज्जैन से आगर (उपनगरीय मार्ग)- 2 बस
४. उज्जैन से शाजापुर (उपनगरीय मार्ग)- 2 बस
५. उज्जैन से फतेहाबाद (उपनगरीय मार्ग)- 2 बस
६. उज्जैन से तराना (उपनगरीय मार्ग)-2 बस
क्लस्टर-2
१. देवासगेट से नानाखेड़ा (शहरी मार्ग)- 3 बस
2. छत्रीचौक से अभिलाषा (शहरी मार्ग)- 2 बस
3. उज्जैन से झारड़ा (उपनगरीय मार्ग)-2 बस
४.उज्जैन से बडनग़र(उपनगरीय मार्ग)-2 बस
५. उज्जैन से महिदपुर

 

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