उज्जैन

कैसे प्रवाहमान बनेगी शिप्रा: सीवरेज लाइन बिछाने के लिए दाव पर रख दी शिप्रा

गांव में सहायक नदियों को गहरा कर रहे और शहर को उथला बना रहे, इतनी मिट्टी डाली कि किनारे सकरे हो गए

उज्जैनJun 20, 2023 / 01:00 pm

aashish saxena

गांव में सहायक नदियों को गहरा कर रहे और शहर को उथला बना रहे, इतनी मिट्टी डाली कि किनारे सकरे हो गए

उज्जैन.
सीवरेज प्रोजेक्ट के नाम पर लोगों की जान से खिलवाड़ के बाद अब शिप्रा नदी के मौलीक स्वरूप को भी दाव पर लगा दिया है। शिप्रा किनारे सीवर लाइन बिछाने में ठेकेदार कंपनी टाटा ने इस कदर लापरवाही बरती कि नदी के तट मैदान में तब्दील हो गए हैं। शहरी क्षेत्र में खुले आम नदी से हुए खिलवाड़ पर न प्रशासन ने कोई सख्ती दिखाई है और नहीं नगर निगम कोई सुधार कर पाया है।

शिप्रा को प्रवाहमान बनाने के लिए एक ओर जनसहयोग से सहायक नदियों का गहरीकरण किया जा रहा है वहीं सीवरेज प्राजेक्ट में लापरवाही के चलते मूल नदी शिप्रा उथली हो रही है। प्रोजेक्ट अंतर्गत नदी किनारे भी सीवरेल पाइप जमीन में डाले जा रहे है। इसके लिए किनारों के नजदीक जमीन को २०-३० फीट तक खोदा जा रहा है। ख्ुादाई में निकली मिट्टी को ठेकेदार कंपनी ने कई जगह नदी के किनारों में ही डाल दिया। इससे कही नदी की चौड़ाई कम हो रही है तो कहीं इसके तट मैदान में बदल रहे हैं। नदी के मूल स्वरूप से किस प्रकार खिलवाड़ हुआ, भैरवगढ़ क्षेत्र में शिप्रा की स्थिति से बता रही है। यहां तटों को काटकर मैदान बना दिया गया है। ऐसी ही स्थिति कई जगह बनी है।

बाड़ से नदी में जमा होगी मिट्टी
सीवरेज प्रोजेक्ट में खुदाई से निकली मिट्टी को नदी के किनारों में डाल दिया है। कुछ दिनों में मानसून शुरू होने वाला है। ऐसे में बारिश व बाड़ आने पर यह मिट्टी बहकर शिप्रा नदी में जमा हो जाएगी। इससे शिप्रा की गहराई और भी कम हो जाएगी और नदी को प्रवाहमान बनाने के प्रयासों पर भी मिट्टी डल जाएगी।

तट काटे, वृक्ष बर्बाद किए, शिप्रा को भी नहीं छोड़ा
नालों को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए प्रशांति धाम से मंगलनाथ तक नदी किनारे करीब १७ किलोमीटर की सीवरेज लाइन बिछाई जा रही है। इसके लिए नदी किनारे १५ ये करीब ४० फीट गहराई तक जमीन को खोदा जा रहा है। प्रोजेक्ट में पाइप लाइन बिछाने की डिजाइन इत तरह तैयार की है कि हजारों वृक्ष, नदी का किनारा और क्षिप्रा का मूल स्वरूप तक दाव पर लग गया है। पाइप लाइन बिछाने प्रशांतिधाम, काला पत्थर, रेतीघाट, कर्कराज मंदिर, भैरवगढ़ आदि क्षेत्रों में टाटा ने हजारों वृक्ष बेदर्दी से काट दिए। इसी तरह कई क्षेत्रों में निकली मिट्टी को नदी के किनारों में ही डाला जा रहा है। अब यही मिट्टी नदी में जमा होकर इसे उथला करेगी।

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