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बड़ी खबर: इतिहास में पहली बार हुई ये घटना, खुद ब खुद गिर गया महाकाल का श्रंगार, देखें फोटो…

दर्शन रोककर और पटबंद कर एक घंटे में दोबारा किया शृंगार

उज्जैनJul 31, 2018 / 12:49 am

Lalit Saxena

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उज्जैन. श्रावण मास के पहले सोमवार को महाकाल मंदिर में अनोखी घटना हो गई। शाम को बाबा महाकाल का अद्र्धनारीश्वर शृंगार किया गया था, जो कुछ देर के अंतराल बाद अपने आप गिर गया। यह घटना होते ही मंदिर में हड़कंप मच गया। ताबड़तोड़ में श्रद्धालुओं के दर्शन रोके गए और पटबंद कर दोबारा से नया शृंगार किया गया। बाबा महाकाल के शृंगार गिरने की मंदिर के इतिहास संभवत: पहली घटना बताई जा रही है। वहीं इस पूरे मामले को छिपाने के लिए मंदिर प्रशासन और कलेक्टर की ओर से वीडियो फुटेज नष्ट करवा दिए गए।
बाबा महाकाल का सोमवार की श्रावण सवारी निकलने के बाद शाम करीब ५.३० बजे विजय पुजारी की ओर से अद्र्धनारीश्वर का विशेष शृंगार किया गया था। इसमें शिवलिंग को भांग की परत चढ़ाई जाती है और बाबा महाकाल और पार्वती के रूप को चित्रित किया जाता है। बताया जा रहा है कि शाम ६.३० से ६.४५ बजे के बीच अचानक शिवलिंग पर किया गया अद्र्धनारीश्वर शृंगार गिर गया। शृंगार में बाबा के सिर पर मुकुट से लेकर नाक तक का एक हिस्सा गिर गया। जैसे ही यह गिरा तो पुजारियों ने मंदिर प्रशासन को सूचना दी। आनन-फानन में दर्शन को रोक दिया गया। वहीं पटबंद कर दोबारा से शृंगार की कवायद शुरू की गई। करीब एक घंटे में यह शृंगार हुआ। इस दौरान किसी को भी गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। वहीं गर्भगृह में लगे सीसीटीवी कैमरे भी बंद कर दिए। शृंगार गिरने के वीडियो फुटेज को कोई देख नहीं सके इसके लिए मंदिर प्रशासक व कलेक्टर के निर्देश पर नष्ट करवा दिया गया।
एक घंटे देरी से पहुंची पालकी
बाबा का शृंगार उतरने से सोमवार शाम को निकली बाबा की सवारी भी एक घंटे देरी ८.१० बजे मंदिर पहुंची। दरअसल महाकाल की सवारी शाम ७ बजे से पहले मंदिर पहुंच जाती है। इस समय बाबा की आरती भी होती। प्रथानुसार पालकी में विराजित बाबा के मुखारविंद को शिवलिंग के सामने रखा जाता है और मंत्रों के बीच बाबा महाकाल के ओज को पुन: शिवलिंग में समाहित किया जाता है। चूंकि शृंगार गिर चुका था और इसके चलते पालकी को देरी से बुलाया गया।
सवारी से पहले परपंरा के विरुद्ध हुए यह काम
सवारी निकलने से पहले परंपरा के विरुद्ध भी कुछ काम हुए। मंदिर में बाबा के मुखारविंद की पूजा-अर्चना के बाद पालकी लाई जाती है। पहली बार पूजा से पहले पालकी ले आए। वहीं मुखारविंद विराजित होने के बाद पालकी को एक बार उठाने के बाद दोबारा जमीन पर नहीं रखा जाता। दो बार पालकी को जमीन पर रखा गया। वहीं सवारी के दौरान पालकी उन स्थानों पर भी रोकी गई जहां नहीं रोका जाता है। मंदिर से जुड़े पुजारी इस अपशगुन मानते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के कुप्रबंधन बता रहे हैं।
९.५० किलो भांग का था शृंगार
बाबा महाकाल के अद्र्धनारीश्वर के शृंगार में करीब १२ से १५ किलो की सामग्री का उपयोग किया था। इसमें लगभग ९.५० किलो तो भांग का लेप शिवलिंग पर किया गया था। करीब सवा किलो ड्रायफ्रूट का उपयोग किया गया। वहीं आभूषण के रूप में मुकुट, नथ सहित अन्य जेवरात भी पहनाए गए थे।
भस्म आरती से पहले उतारते हैं शृंगार
शाम करीब ५.३० बजे बाबा महाकाल का संध्या आरती शृंगार किया जाता है। इसके बाद श्रद्धालु बाबा के दर्शन करते हैं। शयन आरती होने के बाद पट बंद कर दिए हैं। रातभर बाबा इसी रूप में रहते हैं। तड़के होने वाली भस्म आरती के पूर्व बाबा का शृंगार उतारा जाता है।

फुटेज नष्ट कर दिए हैं
हमें जनसंपर्क अधिकारी पंकज मित्तल ने कहा कि कलेक्टर का आदेश है कि शाम ५ बजे से ८.१५ बजे तक के वीडियो फुटेज नष्ट कर दिए जाएं। हमने यह कर दिया है।
दीपक राठौर, प्रभारी मीडिया सेंटर
जानकारी नहीं है
मुझे बाबा के शृंगार उतरने की जानकारी नहीं है। मैंने एेसे कोई आदेश भी नहीं दिए कि वीडियो फुटेज नष्ट कर दिए जाएं।
मनीषसिंह, कलेक्टर

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