scriptanalysis: क्यों हारी कांग्रेस? क्या इस बार भी अंतर्कलह और एकजुटता की कमी कांग्रेस को ले डूबी? | election analysis Why Congress lost, here are five main reasons | Patrika News
उज्जैन

analysis: क्यों हारी कांग्रेस? क्या इस बार भी अंतर्कलह और एकजुटता की कमी कांग्रेस को ले डूबी?

उज्जैन नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की हार के पांच कारण सामने आए…। जबकि भाजपा ने इसका ही फायदा उठा लिया…।

उज्जैनJul 18, 2022 / 12:09 pm

Manish Gite

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उज्जैन। जीतते-जीतते कांग्रेस हार गई। वो भी बहुत कम अंतर से। जीत का सहरा मुकेश टटवाल के सिर बंधा। कांग्रेस के महेश परमार 736 मतों से पीछे रह गए। इसके पांच कारण सामने आ रहे हैं। पत्रिका ने जब इसकी बारीकी से पड़ताल की तो दोनों ही दलों में हार-जीत के पांच प्रमुख कारण सामने आए। आइए देखते हैं एक नजर…।

 

कांग्रेस की हार के पांच कारण

1 कांग्रेस एकता से महापौर चुनाव नहीं लड़ सकी। कुछ नेता, प्रत्याशी और उनकी टीम ही पूरे समय जुटी रही।
2. सामाजिक फैक्टर का असर देखने को मिला। बैरवा बाहुल्य वार्ड से कांग्रेस को मतों के बड़े अंतर से नुकसान उठाना पड़ा।
3. ग्राउंड लेवल पर जितना काम होना चाहिए था, उतना नहीं हो पाया। साइलेंट वर्किंग की कमी रही।
4. बड़े नेताओं में सिर्फ कमलनाथ की ही एक बड़ी सभा हुई। अन्य बड़ी सभा और रोड शो की कमी रही।
5. अधिकतम वार्डों में पार्षद प्रत्याशी अपने चुनाव में लगे रहे। महापौर के चुनाव पर फोकस नहीं किया।

हार की जिम्मेदार सरकारी मशीनरी

कांग्रेस के हारे हुए प्रत्याशी महेश परमार कहते हैं कि पहले बताई गई कुल मतों की संख्या और बाद की संख्या में अंतर है। रेंडमाइजेशन में मिले मशीनों के नंबर के आधार पर आठ मशीनों को लेकर शिकायत की, लेकिन निराकरण नहीं हुआ। सरकार के दबाव में चुनाव परिणाम प्रभावित किए गए हैं। हमने आपत्ति ली है।

 

भाजपा की जीत के पांच अहम कारण

भाजपा के मुकेश टटवाल उज्जैन के प्रथम नागरिक बन गए हैं। वे 736 वोटों से जीते हैं, जबकि 2 हजार 255 वोट तो जनता ने नोटा को दे दिया था।

1. भाजपा संगठन ने मिलकर चुनाव लड़ा। मुख्यमंत्री ने रोड शो किए। आखिरी समय में संघ सक्रीय होते हुए कई जगह डेमेज कंट्रोल किया।
2. सामाजिक फैक्टर, बैरवा बाहुल्य क्षेत्र से बड़ी संख्या में वोट मिले।
3. सहज व सरल स्वभाव काम आया।
4. निर्विवादित छवि, संगठन में भी विरोध नहीं हुआ, इसका भी फायदा भाजपा को मिला।
5. कांग्रेस की आपसी खीचतान, कई वार्डों में कांग्रेस प्रत्याशी सिर्फ अपने चुनाव में लगे रहे। इसका फायदा भाजपा ने उठाया।

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