हालांकि अधिकांश बच्चों में लक्षण कम होने के कारण इनका घर पर ही उपचार हो पा रहा है लेकिन इतनी संख्या में बच्चों का संक्रमित होना, चिंताजनक है।
कई विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि कोरोना की तीसरी लहर आती है तो उसमें सबसे अधिक बच्चे प्रभावित हो सकते हैं। दूसरी लहर में भी बच्चे संक्रमण से अछूते नहीं हैं। मई के एक सप्ताह में ही कुल संक्रमितों में से 2 से 12 वर्ष की उम्र के करीब 45 मरीज मिले हैं। मसलन औसत रोज 6 से ज्यादा बच्चे कोरोना संक्रमित हो रहे हैं।
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कम लक्षण, घर पर हो रहे स्वस्थ
चिकित्सकीय विशेषज्ञों की माने तो संक्रमण की दूसरी लहर में तुलनात्मक बच्चों के कोरोना पॉजिटिव होने के मामले बढ़े हैं लेकिन इनके गंभीर होने की स्थिति कम बनी है। अधिकांश मामलों में बच्चों में कम लक्षण पाए गए हैं। इसके चलते उन्हें घर पर ही रख उपचार देना संभव हो पा रहा है। कुछ मामलों में ही बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति बनी है। बावजूद बच्चों को लेकर और सावधानी बरतने की जरूरत है ताकि उन्हें संक्रमण से दूर रखा जा सके।
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बड़े मरीज तुरंत स्वयं को करें क्वारिंटीन
अधिकांश मामलों में बड़ों से बच्चों में संक्रमण फैलना कारण सामने आया है। इसलिए परिवार में यदि किसी को भी सर्दी-जुखाम, बुखार या कोरोना संबंधित अन्य लक्षण महसूस होते हैं तो उपचार करवाने के साथ ही तुरंत स्वयं को अलग कमरे में क्वॉरंटीन कर लेना चाहिए। इससे परिवार के अन्य सदस्य और विशेषकर बच्चे संक्रमित होने से बच सकते हैं। इक्का-दुक्का को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश कोरोना संक्रमित बच्चों को होम आइसोलेशन में रख उपचार दिया जा रहा है। उपचार में शहर के शिशु रोग विशेषज्ञों भी अभिभावकों का सहयोग कर रहे हैं। – डॉ. रौनक एलची, रैपीड रिस्पोंस टीम प्रभारी उज्जैन