scriptभूमिपुत्र अंगारेश्वर मंदिरः मंगल के ताप को नष्ट करने के लिए यहां होती है शिव की पूजा | Angareshwar Mahadev In Ujjain Is Famous For Mangalik Dosh puja | Patrika News
उज्जैन

भूमिपुत्र अंगारेश्वर मंदिरः मंगल के ताप को नष्ट करने के लिए यहां होती है शिव की पूजा

भात पूजा और मंगल दोष निवारण पूजा के लिए यह स्थान विशेष है…। दूर दूर से आते हैं भक्त…।

उज्जैनJul 20, 2022 / 10:58 am

Manish Gite

ललित सक्सेना

उज्जैन। जो सबका मंगल करते हैं, राजा को रंक और रंक को राजा बनाते हैं। ऐसा शिवालय है भूमिपुत्र अंगारेश्वर। यह स्थान मंगलनाथ मंदिर के पीछे मां क्षिप्रा के किनारे स्थित है। भगवान को पके चावल चढ़ाए जाते हैं, जिसे भातपूजा कहा जाता है। जिससे मंगल दोष का निवारण होता है। माना जाता है, इससे विवाह की अड़चन दूर होती है। भूमि कार्य निर्विघ्न होते हैं। कोर्ट-कचहरी के मामलों का शीघ्र निपटारा होता है।

पुजारी पं. मनीष उपाध्याय ने बताया, मंगलवार को बड़ी संख्या में लोग भात पूजा के लिए आते हैं। चित्रा, धनिष्ठा, मृगशिरा जो अतिश्रेष्ठ नक्षत्र हैं, इनमें भातपूजा का महत्व है। मंगलवार के दिन यदि चतुर्थी आती है तो उसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं। अंगारेश्वर महादेव 84 महादेव में 43वें क्रम पर हैं। पुराण अनुसार यह मंदिर मंगल ग्रह की उत्पत्ति का केंद्र है।

 

कुछ कहानियां भी हैं इनसे जुड़ी

इन्हें विष्णु पुत्र भी कहते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार अवंतिका में दैत्य अंधकासुर ने भगवान शिव की तपस्या कर वरदान प्राप्त किया था कि उसके शरीर से जितनी भी रक्त की बूंदें गिरेंगी, वहां उतने ही राक्षस पैदा होंगे। वरदान अनुसार अंधकासुर ने पृथ्वी पर उत्पात मचाने लगा। इंद्र व अन्य देवताओं की रक्षा के लिए स्वयं भगवान शिव को उससे लड़ना पड़ा था। लड़ते-लड़ते जब शिव थक गए, तो उनके ललाट से पसीने की बूंदें गिरी। इससे एक विस्फोट हुआ और एक बालक अंगारक की उत्पत्ति हुई। इसी बालक ने दैत्य के रक्त को भस्म कर दिया और अंधकासुर का अंत हुआ।

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