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उज्जैन

यह है अनूठे पंडितजी: बच्चन की जान बचाने से लेकर कोरोना को भगाने तक कर चुके हैं विशेष पूजा

विशेष कॉलम: इनसे है गणतंत्र। पेश है महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी की स्टोरी…।

उज्जैनJan 27, 2021 / 06:50 pm

Manish Gite

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amitabh bachchan abhishek special puja performed at the mahakal temple in ujjain

ललित सक्सेना

उज्जैन। कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान जब अमिताभ बच्चन को चोट लगी थी, तो उनके लिए पूजा-पाठ अभिषेक भी करवाए थे। इतना ही नहीं कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा था, तब उन्होंने मंदिर की यज्ञशाला में पूरे विश्व में कोविड-19 को समाप्त करने के लिए 12 दिवसीय महारुद्राभिषेक, हवन, पूजन आदि संपन्न किया था। यह आयोजन कोटा के यजमान मोहनलाल खींची व उनकी पत्नी मनोरमा खंची की ओर से कराया गया था। इसके साथ ही अमिताभ बच्चन को भी कोरोना से बचाने के लिए हवन पूजन के कार्यक्रम किए गए। हम बात कर रहे हैं महाकाल मंदिर के पुजारी पं. रमण त्रिवेदी के बारे में।

 

 

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दिल्ली में श्रीराम रत्न सम्मान से सम्मानित पं. रमण त्रिवेदी को भारत सरकार के अनेक मंत्री और विद्वतजन मौजूद थे। उन्हें यह सम्मान धर्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर प्रदान किया गया था। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने पुजारी त्रिवेदी को वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन की प्रतिलिपि देकर सम्मानित किया था। यह शहर का सौभाग्य रहा कि महाकाल की नगरी से एक पुजारी ने मारिशस में भगवान श्रीराम मंदिर की स्थापना की हो। यह मंदिर 10 हजार वर्ग फीट में बनकर तैयार हुआ तथा जब मंदिर में प्रतिमा प्रतिष्ठापन की बाई आई, तो उज्जैन धार्मिक नगरी में बाबा महाकाल के पुजारी पं. त्रिवेदी के हाथों यह कार्य हुआ था।

 

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कुली की घटना के बाद हुई थी पूजा

उम्र के 60 बसंत देख चुके महाकाल मंदिर के पुजारी पं. रमण त्रिवेदी ने अपने जीवनकाल में मंदिर विकास के लिए कई कार्य किए हैं। इतना ही नहीं दूसरों की कुशलता के लिए उन्होंने अपनी तरफ से हवन-अभिषेक तक किए हैं। कुली फिल्म में जब अमिताभ घायल हो गए थे, तो उनके लिए भी इस मंदिर में पंडितजी ने विशेष पूजा-अर्चना की थी। कोरोना महामारी को दूर करने के निमित्त 12 दिवसीय हवन भी संपन्न कराया। महाकाल मंदिर के शिखर में 110 शिखरियों को स्वर्ण मंडित कराने की योजना सबसे पहले पं. रमण गुरु ही लेकर आए थे। उन्होंने कलेक्टर और मंदिर प्रबंध समिति से मिलकर इस योजना को अपे यजमानों तथा मंदिर के अन्य पुजारी-पुरोहितों व उनके यजमानों की मदद से पूरा किया।

 

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