script84 महादेव सीरीज : डमरुकेश्वर महादेव की पौराणिक गाथा | 84 Mahadev Series: Damaru Keshhwar mythology of Shiva | Patrika News
उज्जैन

84 महादेव सीरीज : डमरुकेश्वर महादेव की पौराणिक गाथा

श्रावण मास में चौरासी महादेवों की शृंखला में चौथे क्रम पर डमरुकेश्वर महादेव का मंदिर आता है। इनकी पौराणिक गाथा बड़ी ही अनूठी है। 

उज्जैनJul 22, 2016 / 07:13 pm

Lalit Saxena

84 Mahadev Series: Damaru Keshhwar mythology of Sh

84 Mahadev Series: Damaru Keshhwar mythology of Shiva

उज्जैन. चौरासी महादेवों की शृंखला में चौथे क्रम पर डमरुकेश्वर महादेव का मंदिर आता है। इनकी पौराणिक गाथा बड़ी ही अनूठी है। श्रावण मास में पत्रिका डॉट कॉम के जरिए आप चौरासी महादेव की यात्रा का लाभ ले रहे हैं। 

डमरुकेश्वर महादेव की गाथा
डमरुकेश्वर महादेव की गाथा रूद्र नाम के एक असुर और उसके पुत्र वज्रासुर से शुरू होती है। वज्रासुर महाबाहु तथा बलिष्ठ था। शक्तियां अर्जित करने वाले इस महाअसुर के दांत तीक्ष्ण थे और इसने शक्तियों के बल पर देवताओं को उनके अधिकार से विमुख कर दिया एवं उनके संसाधनों पर कब्जा कर उन्हें स्वर्ग से निकाल दिया।
अश्व मेघ सहस्त्रं तु वाजपेय शतं भवेत।
गो सहस्त्र फलं चात्र द्रष्टया प्राप्स्यन्ति मानवा:।।
नकारात्मक शक्तियों के चलते पृथ्वी पर वेद, पठन-यज्ञ आदि बंद हो गए और हाहाकार मच गया। तब सभी देवता-ऋषि आदि एकत्रित हुए और असुर वज्रासुर के वध का विचार किया। इसी उद्देश्य के साथ देवताओं और ऋषियों ने मंत्र साधना की। तब तेज प्रकाश के साथ एक ‘कृत्या’ उत्पन्न हुई। यह जानने पर कि वज्रासुर का नाश करना है, उसने अट्टाहास किया, जिससे बड़ी संख्या में कन्याएं उत्पन्न हुईं। उन सभी ने मिलकर वज्रासुर से युद्ध किया। कुछ समय पश्चात दैत्य कमजोर होने लगे और युद्ध स्थल से भागने लगे। यह देख वज्रसुर ने तामसी नामक माया का इस्तेमाल किया। माया से घबराकर कृत्या उन कन्याओं के साथ महाकाल वन में आ गई। वज्रासुर भी अपनी सेना लेकर वहीं आ गया।


डमरू से उत्पन्न यह लिंग डमरुकेश्वर कहलाया
इस बारे में नारद मुनि ने विस्तार से सब शिवजी को बताया। शिवजी ने उत्तम भैरव का रूप धारण किया और वे महाकाल वन आए। वहां दानवों की सेना देखकर उन्होंने अपना भयंकर डमरू बजाया। डमरू के शब्द से उत्तम लिंग उत्पन्न हुआ, जिससे निकली ज्वाला में वज्रासुर भस्म हो गया। उसकी सेना का भी नाश हो गया। डमरू से उत्पन्न होने के कारण यह लिंग डमरुकेश्वर कहलाया। ऐसी मान्यता है कि उज्जैन स्थित चौरासी महादेव में से एक श्री डमरुकेश्वर महादेव के दर्शन करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और युद्ध में विजय प्राप्त होती है। श्री डमरुकेश्वर महादेव का मंदिर हरसिद्धि मार्ग पर राम सीढ़ी के ऊपर स्थित है।

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