शहर की सुख-सुविधाओं में पलीं अब बनीं साध्वी
शहर में सुख-सुविधाओं में पली एमबीए तक पढ़ाई करने वाली उज्जैन के ज्वेलरी कारोबारी विमल भंडारी की 26 साल की बेटी सलोनी भंडारी ने साध्वी बनने का फैसला लिया था। पांच दिन पहले उनके दीक्षा महोत्सव की शुरुआत शनिवार को हुई थी। महोत्सव के पहले दिन माता-पिता, भाई-बहन और परिवार के सदस्य उसे दुल्हन की तरह सजाकर हल्दी-मेहंदी की रस्म के लिए ले गए थे और अब पांचवे दिन सलोनी ने समाजजनों के सामने साध्वी की दीक्षा लेकर सांसारिक वस्तुओं और रिश्तों-नातों का त्याग कर दिया।
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साध्वी बनने से पहले खुद को परखा
साध्वी बनने से पहले सलोनी ने 48 दिन तक संयम बरत कर पहले खुद को परखा। सांसारिक सुविधाओं की आदी हो चुकीं सलोनी ने सुख-सुविधाएं त्यागकर खुद की परीक्षा ली की वो इसके बिना रह सकेंगी या नहीं? इसमें सफल हुई तो वैराग्य का रास्ता चुना। सलोनी ने संयम के दौरान राजगढ़ से उदयपुर तक महाराज के साथ पैदल विहार भी किया था। सलोनी के पिता विमल भंडारी ने बताया कि घर में सब होने के बाद भी खालीपन लगता था। संतोष का भाव नहीं था, जो मंदिरों में और गुरु की शरण में मिलता था। इसलिए ये रास्ता चुना है।
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