म्यूजियम ऑफ लंदन की खोज में यह स्पष्ट हो चुका है कि 2500 साल पूर्व यहां के लोग धातु विज्ञान में विशेषज्ञता प्राप्त कर चुके थे। यूरोप की औद्योगिकी क्रांति जावर की वजह से हो सकी। अमरीका एसोसिएशन ऑफ मेटल्स (एएसएम) ने इसे लिखित में स्वीकार किया है। 7वीं सदी से ही अर्थ नगरी ने धर्म को मजबूत तरीके से परिलक्षित करना शुरू कर दिया था। जावर के पुरातात्विक महत्व को देखते हुए इतिहासविद और पुरातत्ववेत्ता चाहते हैं कि जावर को जियो पार्क ऑफ यूनेस्को की शृंखला में शामिल किया जाए।
READ MORE: रवींद्र श्रीमाली ने संभाला यूआईटी अध्यक्ष का पदभार, पूर्व अध्यक्ष ने गले मिलकर दी शुभकामनाएं मनमोहक विष्णु मंदिर सैकड़ों मंदिरों के खंडहर जावर की पुरा धार्मिक समृद्धता के जीवंत उदाहरण हैं। 1497 में महाराणा रायमल की बहन रमाबाई की ओर से बनवाया विष्णु मंदिर और कुंड आज भी मन मोह लेते हैं। यह मंदिर आज भी उम्दा हालत में हैं। दुर्गम पहाड़ों के बीच इस भव्य निर्माण को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो उठते हैं।
इस प्रकार शुरुआत इतिहासकारों के अनुसार 7वीं शताब्दी में यहां देवी का मंदिर बनवाया गया था। 1413 से 1433 ईस्वी तक महाराणा मोकल के कार्यकाल में जैन मंदिरों का भी काफी संख्या में निर्माण हुआ। जैन, वैष्णव और शक्त संप्रदायों जावर में वर्चस्व रहा। महाराणा कुंभा के प्रधानमंत्री सहणपाल और वेला ने भी यहां कई मंदिर बनवाए।
8वीं सदी तक जावर दूसरे देशों में भी ख्याति प्र्राप्त कर चुका था। आर्थिक समृद्धता ने इसे धार्मिक नगरी बना दिया। यहां यात्रियों के लिए धर्मशालाएं, जलस्रोत आदि के व्यापक इंतजाम थे। डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, इतिहासविद्