Udaipur stabbing: उदयपुर चाकूबाजी में घायल छात्र को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए सीएम भजनलाल के निर्देश पर जयपुर से 3 विशेषज्ञ चिकित्सकों को भेजे जाने के बाद कोटा से भी विशेषज्ञ चिकित्सक उदयपुर पहुंचे। विशेषज्ञ आरएनटी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों के साथ समन्वय करते हुए बालक के उपचार में जुट गए, जहां 24 घंटे नजर रखी जा रही है।
अस्पताल प्रशासन ने बताया कि चिकित्सकों की टीम लगातार बच्चे की हालत की मॉनिटरिंग कर रही है। उसकी स्थिति अभी स्थिर है। हमारा दायित्व है कि अशांति फैलाने के बजाए बच्चे के लिए दुआएं करें। एमबी अस्पताल के अधीक्षक आरएल सुमन ने बताया कि चिकित्सकों की टीम 24 घंटे मुस्तैदी के साथ घायल छात्र के उपचार में लगी हुई है। बालक को बेहतर से बेहतर उपचार मुहैया कराया जा रहा है।
मां की तबीयत बिगड़ी
घायल छात्र की मां बार-बार बेसुध हो रही है। ऐसा रविवार को दो-तीन बार हुआ। उदयपुर के मुखर्जी चौक में रोते-रोते मां की तबीयत बिगड़ गई। लोगों ने पानी पिलाकर उसे सांत्वना दी तो कुछ सुधार हुआ। इसके बाद एक बार अस्पताल परिसर में भी उसकी तबीयत बिगड़ गई, ऐसे में चिकित्सकों से जांच करवाई गई।
प्रबुद्धजनों के साथ बैठक
कलक्टर पोसवाल, एसपी गोयल ने प्रबुद्धजनों के साथ एमबी अधीक्षक कार्यालय में बैठक की। घायल छात्र के उपचार की जानकारी देते हुए अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की। आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विपिन माथुर और एमबी अधीक्षक डॉ. सुमन की मौजूदगी में बैठक में भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रविंद्र श्रीमाली, दिनेश भट्ट, प्रमोद सामर, उपमहापौर पारस सिंघवी, गजपालसिंह राठौड़, रविकांत त्रिपाठी, कुंदन चौहान, सत्यनारायण मोची, विनोद, कन्हैयालाल मोची, देवेन्द्र कुमार मौजूद थे।
गुस्साए कलक्टर ने कहा- बच्चा अभी जिंदा, सांसें चल रही
दोपहर में कलक्टर पोसवाल लोगों से समझाइश कर रहे थे। इस बीच एक महिला ने कह दिया कि हमें बच्चे की बॉडी दे दो। इस पर कलक्टर गुस्सा गए और बोले कि बॉडी क्या होती है… अभी बच्चा जिंदा है, उसकी सांसें चल रही है। अफवाहों पर ध्यान मत दीजिए। सभी सीनियर चिकित्सक जुटे हुए हैं। हम सभी के लिए परीक्षा की घड़ी है। सकारात्मक माहौल बनाएं। अभी दुआ करने का समय है।
स्कूल स्टाफ को सस्पेंड करने की मांग
प्रदर्शन के दौरान कई लोगों ने स्कूल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया और जिम्मेदार शिक्षकों को संस्पेंड करने की मांग की। लोगों ने स्कूल स्टाफ की लापरवाही से उपचार में देरी का आरोप भी लगाया। कहा कि कर्मचारी गंभीरता से लेते तो समय पर बच्चे को अस्पताल पहुंचाया जा सकता था, जबकि सहपाठी बच्चों ने घायल को अस्पताल पहुंचाया।