हाथ-पैर सुन्न पड़ जाते, लेकिन नहीं मानी हार मां अंजलि ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि बड़ी बेटी शुभम राजस्थान न्यायिक सेवाओं की तैयारी कर रही है इसलिए वे दोनों अभी जयपुर रह रहे हैं। यहीं पर उन्हें बेटी शिवा की इस बड़ी उपलब्धि की जानकारी मिली। उस वक्त वे गर्व से भर गईं और बेटी की याद में भावुक भी हो गईं। बहन शुभम ने बताया कि 2020 से शिवा एक तरह से भारतीय सेना की हो चुकी है और तब से ही बहन से बहुत कम समय के लिए मिलना हो पाया है, लेकिन, फोन पर अक्सर उनकी बात होती है तब वे बताती है कि किन मुश्किल हालात का सामना उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान किया। शिवा के ट्रेनिंग हेड बताते हैं कि ग्लेशियर लड़का या लड़की नहीं देखता। ये बात वो हमेशा याद रखती और ट्रेनिंग के दौरान बर्फ में जब कई बार हाथ-पैर सुन्न पड़ जाते तो लगता कि अब शायद नहीं हो पाएगा तब कुछ ही पल में वे दोबारा टास्क को पूरा करने के लिए तैयार हो जाती। ये पूरी ट्रेनिंग सियाचिन बेसकैंप में उन्हें पुरुषों के मापदंडों के अनुरूप कराई गई, ना कि एक महिला के तौर पर।
ट्यूशन पढ़ाकर भरी स्कूल-कॉलेज की फीस शुभम ने बताया कि शिवा बचपन से ही मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत रहीं हैं। पिता राजेंद्र चौहान बापूबाजार में दुकान चलाते थे। उनके गुजरने के बाद मां ने सिलाई कर और शिवा ने ट्यूशन कर घर चलाया। शिवा नौवीं से ही ट्यूशन लेती थीं। इसी से स्कूल-कॉलेज की फीस भरतीं। इसके अलावा वे स्कूल और कॉलेज में भी हर जगह हर गतिविधि में आगे रहती थीं। पढ़ाई में अच्छे प्रदर्शन पर उन्हें सेंट एंथॉनी स्कूल में प्राचार्य विलियम डिसूजा ने उन्हें स्कॉलरशिप दी। इसके बाद टेक्नो एनजेआर में आरएस व्यास के मार्गदर्शन में सिविल इंजीनियरिंग करते हुए स्कॉलरशिप हासिल की। शुभम ने बताया कि शिवा को बॉलीवुड मूवीज का भी काफी शौक है। शाहरूख खान उनके पसंदीदा सितारे हैं।