प्राधिकरण में चेयरमैन की राजनीतिक नियुक्ति यूआइटी चेयरमैन की तरह होगी। यूडीए में आयुक्त मुख्य अधिकारी होगा, उसके अधीन सचिव, तीन से ज्यादा उपायुक्त लगेंगे। डायरेक्टर प्लान व डायरेक्टर इंजीनियर भी लगेगा। डीटीपी की संख्या बढ़ेगी। अभी ट्रस्ट एक करोड़ रुपए से ज्यादा की स्वीकृति के लिए फाइल जयपुर भेजता है आगे इसमें करीब चार करोड़ तक की शक्तियां यूडीए को होगी। अभी यूआइटी में सचिव के अलावा भू अवाप्ति अधिकारी व ओएसडी ही है।
यूआइटी को जोनवार बांट दिया जाएगा जिससे काम में तेजी आएगी। जोन बनने के बाद पेराफेरी के १३० गांवों को लेकर आ रही समस्याएं भी दूर होगी। यहीं नहीं पेराफेरी के गांवों की संख्या और बढ़ भी सकती है। यूडीए के क्षेत्राधिकारी के साथ शक्तियां भी बढ़ेगी जिसका फायदा सीधा शहर को होगा। शहर के विकास को चार चांद लगेंगे और विजन भी बदलेगा। कई बड़े प्रोजेक्ट भी तैयार कर उनको यहीं मंजूरी देकर काम जल्दी शुरू करवाए जा सकेंगे।
सबसे अहम यूआइटी चेयरमैन की नियुक्ति अभी होना बाकी है लेकिन यूडीए गठित होते ही यहां यूडीए चेयरमैन को लेकर अब राजनीतिक सरगर्मियां भी जयपुर तक बढ़ गई है। जेडीए में चेयरमैन यूडीएच मंत्री होते है और बाकी प्राधिकरण में चेयरमैन मनोनीत किए जाते है।
नाई-झाड़ोल वाले सीध एलिवेटेड से गुजरेंगे
उदयपुर शहर में प्रतापनगर से बलीचा 4 लेन सडक़, तथा आयुर्वेद चौराहा से सुभाष सर्किल, सज्जनगढ़ तिराहा, रामपुरा होते हुए सिसारमा-झाडोल एलिवेटेड सडक़ की घोषणा की। इसका फायदा यह होगा इस रूट झाड़ोल, नाई जाने वाले लोग सीधे ही एलिवेटेड रोड से गुजरेंगे। यही नहीं इस क्षेत्र के उपनगरीय क्षेत्रों में आने-जाने वाले लोग जो नीचे मुख्य रोड से गुजरेंगे उनको भी फायदा होगा। इस पर 150 करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया है, इसमें से कुछ राशि प्रतापनगर चार लेन पर खर्च होगी।