ये है हालात यदि इएसआईसी में किसी भी मरीज की मौत होती है तो वहां से विवरण एमबी हॉस्पिटल भेजा जाता है, लेकिन विवरण को जांचने के लिए भी चार सदस्यीय चिकित्सकों की कमेटी बनाई गई है। वह ये जांच करती है कि मृतक का उपचार पूरे प्रोटोकोल से हुआ या नहीं। इएसआईसी से जो डेथ समरी आ रही है वह कई-कई दिनों तक अधीक्षक कार्यालय में पड़ी रहती है। ऐसे में वह विवरण जब तक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले कार्यालय यानी रिकॉर्ड रूम तक नहीं जाती, तब तक जारी नहीं किया जाता है। ऐसे में यदि मृतक के 21 दिन से अधिक समय हो गया तो ऑनलाइन इन्द्राज में समस्या आती है और प्रमाण पत्र जारी नहीं होता। इसके बाद हॉस्पिटल से एक पर्ची के आधार पर इसे नगर निगम में बनवाना पड़ता है।
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समस्या आ रही है। मैंने इसे लेकर पांच बार अधीक्षक कार्यालय को पत्र लिखा है। इसके बाद भी जवाब नहीं मिला है। जो मृतक इएसआई हॉस्पिटल के हैं, इनका विवरण हमें नहीं मिलने से सर्टिफिकेट यहां से जारी नहीं हो पाते हैं। 21 दिन बाद यदि विवरण मिलती है तो ऑनलाइन अनुमति नहीं होने से सर्टिफिकेट जारी नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में कई लोग यहां आकर लौट रहे हैं। जब तक हमारे पास विवरण नहीं आती, तब तक ये सर्टिफिकेट जारी नहीं हो पाते ये हमारी भी मजबूरी है।
—— चार सदस्यीय कमेटी केवल समीक्षा करती है। इससे मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं रुकता है। हमारी ओर से सभी फाइल देखकर इसकी सूची अधीक्षक कार्यालय भेज दी गई है। हमने कोई फाइल नहीं रोकी है। हम चार चिकित्सकों की टीम ये समीक्षा करती है।
डॉ. महेश दवे, चिकित्सक, एमबी हॉस्पिटल
हमारी ओर से मृतकों की नियमित जानकारी एमबी हॉस्पिटल भेजी जा रही है। वहां से रिकॉर्ड रूम क्यों नहीं जारी कर रहा है, इसके बारे में तो वहीं बता सकते हैं। डॉ. अशुंल म_ा, नोडल प्रभारी, इएसआईसी