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उदयपुर

सरकारी पीएचसी का ऐसा हाल: संविदा कार्मिक के भरोसे 42 गांव की स्वास्थ्य सेवाएं

prathmik swasthya kendra 36624 है इन गांवों की आबादी, फिर क्यों नहीं पनपें झोलाछाप

उदयपुरOct 01, 2019 / 01:17 am

Sushil Kumar Singh

सरकारी पीएचसी का ऐसा हाल: संविदा कार्मिक के भरोसे 42 गांव की स्वास्थ्य सेवाएं

सरकारी पीएचसी का ऐसा हाल: संविदा कार्मिक के भरोसे 42 गांव की स्वास्थ्य सेवाएं

उदयपुर/ कोटड़ा. prathmik swasthya kendra जनजाति उपयोजना क्षेत्र (टीएसपी) के नाम से प्रदेश में विशेष दर्जा रखने वाले उदयपुर संभाग में जनजाति स्वास्थ्य को लेकर सरकार और चिकित्सा मंत्रालय ने आंखें मूंद रखी है। जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के ओहदेदार भी इस जिम्मेदारी के प्रति लापरवाह हैं। इसी का खमियाजा भोलेभाले जनजाति तबके को उठाना पड़ रहा है। राजस्थान पत्रिका की ओर से ग्रामीण स्वास्थ्य को लेकर जारी अभियान के तहत टीम ने जनजाति बाहुल्य कोटड़ा तहसील के बिकरनी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सच जाना तो चौंकाने वाले हाल सामने आए। मालूम चला कि पीएचसी का संचालन एक मात्र संविदा कंपाउंडर के भरोसे है। अनदेखी ही कहेंगे कि ये एक कर्मचारी 42 गांव में रहने वाले करीब 36 हजार 624 आबादी के स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदार है। भोली भाली जनता को विभागीय लापरवाही उस समय अखरती है, जब वह मरीज को खाट में लेकर कई किलोमीटर उबड़-खाबड़ कच्चे रास्ते तय कर चिकित्सालय पहुंचते हैं। बारिश के मौसम में बरसाती नाले और नदियों का जोखिम उठाकर चिकित्सालय पहुंचने पर भी उन्हें चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिल पाती।
अधीन संचालित हैं 5 सब सेंटर
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे वर्तमान में ५ सब सेंटर संचालित है। इनमें वेराकातरा, कोलिया, नयावास, सुलाव व जुरा शामिल हैं। खास बात तो यह है कि इनमें से तीन सब सेंटर्स पर एएनएम के पद भी रिक्त हैं। प्राथमिक उपचार के नाम पर केवल दो सब सेंटर्स पर लोगों को प्राथमिक उपचार की सुविधा मिल रही है।
मर्जी मुताबिक उपचार
चिकित्सक एवं विशेषज्ञों के प्रति सरकारी उपेक्षा के कारण क्षेत्र में झोलाछाप पनप रहे हैं। बंगाल से आए पांचवी और आठवीं पास युवा बेरोकटोक लोगों का उपचार कर रहे हैं। मजबूरी में लोगों को ऐसे झोलाछापों की शरण में जाना पड़ता है, जो कि कई बार मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ भी साबित होता है।
कहता है सच

पीएचसी का नाम: बिकरनी

पीएचसी की स्थापना: 20 वर्ष पहले

वर्तमान में स्वीकृत पद और सेवारत:
– चिकित्सक के सभी पद रिक्त
– 1 जीएनएम कंपाउंडर
– 1 काउंसलर
-2 एएनएम
-1 कंप्यूटर ऑपरेटर
पीएचसी क्षेत्र की जनसंख्या – करीब 35,624
प्रतिदिन ओपीडी: 100 से 130
रोगी वाहन – उपलब्ध नहीं
केंद्र से दूरस्थ गाँव की दूरी – 15 से 20 किमी
(तोरणा, नायर, उमरीपादर, जूनापादर, नयावास)

पेराफेरी के गांव: बिकरनी, रुजियाखुणा, छापरिया, काड़ा, डेबारा, बेकरियावड़, ,क्यारा, महुला घाटा, आड़ीसेरी, रणोंरा, आमलीघाटी, कागवास

परेशान है आमजन
बिकरनी पीएचसी में चिकित्सक की कमी खल रही है। मजबूरी में लोग मरीज को गुजरात लेकर जाते हैं। क्षेत्र में छोलाछापों की भी फौज डटी हुई है।
भूरी देवी, सरपंच, बिकरनी

तबादला कराकर निकले
कोटड़ी क्षेत्र की सभी पीएचसी व सीएचसी सेंटर्स पर पहले से ही स्टाफ की कमी है। दो चिकित्सक व 10 एएनएम तबादला कराकर जा चुकी हैं। स्टाफ अब 30 की बजाय 12 फीसदी ही बचा है। prathmik swasthya kendra बंगाली चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शंकरलाल चव्हाण, बीसीएमओ, कोटड़ा

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