गोपाल कसोटा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी रहती है। सरकारी नौकरी वाले लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाते हैं। सरकारी स्कूलों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इन स्कूलों में शिक्षकों की भी रैंकिंग तय होनी चाहिए।
लक्ष्यराजसिंह चौहान ने कहा कि सामान्य शिक्षा की कक्षाओं के साथ स्पाेर्ट्स, स्किल डवलपमेंट, टेक्नोलाॅजी के कोर्स भी होने चाहिए। सामान्य शिक्षा से कई विद्यार्थी मानसिक अवसाद में आ रहे हैं। इससे वे भटककर या नशा, बीमारी और आत्महत्या तक कर रहे हैं। हर प्रकार की शिक्षा देने से विद्यार्थी अवसाद में नहीं जाएगा।
योगेंद्र सिंह राणावत ने बताया कि आरक्षण की सुविधा आर्थिक आधार पर होनी चाहिए। सरकारी योजनाओं का लाभ और विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति समय पर दी जाए। कई विद्यार्थी पढ़ाई का खर्च स्वयं वहन करने के चक्कर में नौकरियां करते हैं। उनका पढ़ाई से ध्यान हट जाता है। ऐसे विद्यार्थियों को लाभ होगा।