पशु पालन उपनिदेशक डॉ. सुरेंद्र छंगाणी बताते हैं कि ओलम्पिक खेलों में घोड़े के कौशल, दम-खम आदि के प्रदर्शन के आधार पर घुड़सवार को छह स्वर्ण पदक मिलते हैं। ड्रैसाज, इवेंटिंग एवं जंपिंग की व्यक्तिगत एवं टीम प्रतियोगिता में प्रत्येक में पृथक-पृथक स्वर्ण पदक दिया जाता है। इन खेलों की टीम स्पर्धा में पुरुष व महिला एक ही टीम में खेलते हैं। पोलो में भी हार-जीत का काफी दारोमदार अश्वों और ऊंटों के कौशल पर ही निर्भर है। घुड़सवार एवं घोड़े के आपसी सामंजस्य एवं आदेशों की पालना उन्हें प्रशिक्षित करने पर निर्भर करता है। एशियन गेम्स 2023 में तीसरे दिन घुड़सवारी में 41 वर्ष बाद दिव्या कृति सिंह, सुदीप्ति हजैला, हृदय छैना और अनुष अग्रवाल ने मिलकर देश को ऐतिहासिक गोल्ड मेडल दिलाया। मरू मेलों में ऊंट का पोलो एवं दौड़ आकर्षक का केन्द्र होते हैं।
हाथी पोलो खेल नेपाल, राजस्थान, थाईलैंड में हाथी पोलो खेल बहुत ही अत्यधिक प्रचलित रहा है। इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड में तो इसकी टीम बनी हुई है। देश में जहां हाथियों की अनुमानित आबादी 30 हजार है, वहीं राजस्थान में मात्र 84 है। विश्व में हाथियों के संरक्षण, संवर्द्धन एवं विकास के लिए 2010 में हाथी को विश्व विरासत पशु घोषित किया गया। भारत में इसे पालतु पशु की श्रेणी में शामिल करते हुए 2003 की पशु गणना में इसे शामिल किया गया।
अश्व एवं ऊंटों की नृत्य प्रतियोगिता : देश के विभिन्न क्षेत्रों में समय-समय पर अश्व एवं ऊंटों की नृत्य प्रतियोगिता होती है। अच्छे नृत्य करने वाले घोड़े एवं ऊंट के मालिकों को सम्मानित भी किया जाता है।
राष्ट्रीय पशु प्रदर्शनी एवं राज्य स्तरीय पशु मेला भारत सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष किसी एक राज्य में राष्ट्रीय पशु प्रदर्शनी एवं राज्य सरकार द्वारा 10 राज्य स्तरीय पशु मेलों का प्रदर्शन किया जाता है। इनमें विभिन्न प्रजातियों की विभिन्न नस्लों की प्रतियोगिताएं कराकर विजेता मालिक को पुरस्कृत किया जाता है। अच्छी नस्ल के पशु रखने के लिए पशु मालिकों को प्रेरित किया जाता है। कई प्रदेशों में बैलों की दौड़ भी होती है।
अश्व पोलो खेल जयपुर का पोलो दुनियाभर में मशहूर है। भारत में तत्कालीन राजा महाराजाओं के समय इस खेल का प्रचलन शुरू हुआ। वर्तमान में राजस्थान में अश्वों की संख्या 32 हजार है। सबसे कम उम्र की पहली महिला घुड़सवार दिव्या कृति सिंह ने एशियन गेम्स 2023 में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया। उन्हें भारत सरकार ने अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया। राज्य सरकार की ओर से अश्वों के विकास, संरक्षण, संवर्द्धन के लिए अश्व विकास कार्यक्रम संचालित किया जाता है। इसके अतिरिक्त बीकानेर में नेशनल रिसर्च सेन्टर फॉर इक्वाइन कार्यरत है, जो राज्य में ब्रीड एसोसिएशन का गठन कर समय-समय पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन कर अश्व मालिकों को पदक देकर सम्मानित करते हैं।