नई शिक्षा नीति से स्कूली शिक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन आने वाला है। शिक्षा को 5 3 3 4 प्रणाली में पुनर्गठित किया है, जिसमें 3 साल की प्री-स्कूल शिक्षा और 12 साल की स्कूली शिक्षा शामिल है। आंगनबाड़ियों और प्ले स्कूलों को स्कूली शिक्षा प्रणाली में एकीकृत किया है। कक्षा 1 से 5 तक शिक्षा हिंदी या मातृभाषा में दी जाएगी। नई नीति भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप छठी कक्षा से कोडिंग व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा सिखाने पर जोर देती है। शिक्षाविद व एनइपी एक्सपर्ट प्रो. अनिल कोठारी के अनुसार, शिक्षा नीति से केवल बच्चों की ही नहीं बल्कि पेरेंट्स की सोच भी बदल जाएगी, ऐसे में शिक्षा नीति को इस तरह से समझें-
अब 3, 5, 8 वीं में होंगी परीक्षाएं, दो बार होगी बोर्ड स्कूली बच्चों के लिए परीक्षाएं अब तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा में आयोजित की जाएंगी। 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए मौजूदा बोर्ड परीक्षाएं जारी रहेंगी। छात्रों का साल बर्बाद होने से बचाने के लिए बोर्ड परीक्षा साल में दो बार होगी। अपने परिणामों से असंतुष्ट लोगों को सुधार के लिए परीक्षा देने का अवसर मिलेगा।
शिक्षा का माध्यम मातृभाषा एनईपी “तीन-भाषा फॉर्मूला” का पालन करते हुए विद्यार्थियों की मूल भाषा को शिक्षण के माध्यम के रूप में जोर देती है। यह नीति अंग्रेजी और हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं को सीखने को प्रोत्साहित कर बहुभाषावाद को महत्व देती है। केवल मातृभाषा को अनिवार्य बनाने के बजाय शिक्षा के माध्यम के रूप में उपयोग करने का सुझाव देती है।
स्कूली पाठ्यक्रम में अनुभवात्मक शिक्षा नीति में कहा है कि स्कूली पाठ्यक्रम और शिक्षाशास्त्र का लक्ष्य छात्रों के समग्र विकास के लिए पाठ्यक्रम डिजाइन करना चाहिए जो उन्हें 21वीं सदी के कौशल से लैस करेगा। छात्रों को कम पाठ्यक्रम सामग्री का अध्ययन करना होगा, जो अनुभवात्मक शिक्षा और महत्वपूर्ण सोच पर जोर देगा। छात्रों को उन विषयों का विकल्प देगा जो वे अध्ययन करना चाहते हैं। इसके अलावा, कक्षा 6वीं-8वीं में इंटर्नशिप के अवसरों के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
10 +2 नहीं अब नई 5 +3 +3 +4 स्कूल प्रणाली मौजूदा व्यवस्था – प्रस्तावित व्यवस्था (आयु 3-6) – फाउंडेशनल चरण – प्राइमरी पूर्व के 3 वर्ष (आयु 3-6) कक्षा 1-2 के 2 वर्ष (6-8 आयु)
छात्रों को उनकी रुचियाें और करियर आकांक्षाओं के आधार पर विषय चुनने का अधिकार इस नीति में दिया गया है। छात्रों को पहले की तरह आटर्स, साइंस, कॉमर्स में से किसी एक विषय को नहीं चुनना पड़ेगा। यह नीति व्यक्तिगत शिक्षा को बढ़ावा देती है। छात्रों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए संचार कौशल, समस्या-समाधान, डिजिटल साक्षरता और तकनीकी कौशल पर जोर दिया जाएगा।
एनईपी के ये हैं लाभ – विद्यार्थियों में शैक्षणिक तनाव कम करना। – रटने की बजाय व्यावहारिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना। – मानसिक कौशल विकास, समस्या-समाधान और आलोचनात्मक सोच पर ध्यान केंद्रित करना।
– छात्रों में नेतृत्व और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देना। – विद्यार्थियों में राष्ट्र एवं भारतीय संस्कृति के प्रति गौरव उत्पन्न करना। – कौशल विकास, उद्यमिता को प्रोत्साहित करना, स्व-रोज़गार बनाने का लक्ष्य।
माता-पिता के लिए कई लाभ – पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा से बच्चों में स्व-शिक्षा को प्रोत्साहन। – अपने बच्चों की शिक्षा यात्रा में माता-पिता की भागीदारी को प्रोत्साहित करना। – खोजपूर्ण शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देना, भविष्य में महंगी कोचिंग की आवश्यकता कम करना।
– वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा करने से बच्चों में मानसिक तनाव कम होगा। – माता-पिता को बच्चों की रुचियों के आधार पर विषय चयन को प्रोत्साहित करने के लिए सशक्त बनाना।
– माता-पिता और शिक्षकों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना।
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