– शहर से सात किलोमीटर की दूरी। सीधा आवागमन को कोई साधन नहीं। स्वयं के वाहन या किराए वाहन ही विकल्प, शहर से थाने तक आने का करीब दो सौ रुपए किराया
– एक बार थाने में रिपोर्ट आने के बाद परामर्श केन्द्र व थाने की काउंसलिंग में परिवादिया व उनके परिजनों करीब पांच से छह चक्कर। प्रति चक्कर में किराए व दिनभर की मशक्कत से सभी परेशान
– महिला के साथ ही केवल यह दिन का थाना था, यहां सुनसान जगह होने से रात में कोई नहीं आता।
– रात्रिकालीन में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित थाना
– थाने की दूरी के कारण अनावश्यक ही अधिकारियों के पास महिला प्रताडऩा के परिवाद का अतिरिक्त बोझ
– न्यायालय, आईजी व एसपी कार्यालय से दूरी होने से अतिरिक्त खर्च
– पीडि़ताओं व परिजनों से बड़ी मिलेगी राहत
निर्माण कार्य चल रहा है
महिलाओं की पीड़ा का देखते हुए शीघ्र ही थाना मानव तस्करी विरोधी यूनिट में शिफ्ट किया जाएगा। अभी वहां पर हवालात निर्माण के अलावा अन्य कार्य चल रहे है।
राजेन्द्र प्रसाद गोयल, पुलिस अधीक्षक