हल्दी घाटी दर्रा-
मेवाड़ की स्वतंत्रता के खातिर महाराणा प्रताप ने कभी मुगलो से समझौता नहीं किया। स्वाभिमान के खातिर राणा पहाड़ से टकराने से भी नहीं हिचके। चारों तरफ साम्राज्य विस्तार करने वाला अकबर की आँख में मेवाड़ और प्रताप खटक रहे थे। प्रताप को गुलाम बनाने के सभी प्रयास नाकाम होने के बाद मुग़ल सेना ने मान सिंह और आसफ खान के नेतृत्व में मेवाड़ पर चढ़ाई कर दी।
प्रताप ने भी राजपूत सरदारों ओर भील योद्धाओं के साथ हल्दी घाटी में दुश्मन का मुकाबला करने की योजना बना दी। गोगुन्दा से मुग़ल सेना हल्दी घाटी की ओर बढ़ी और इस दर्रे से कुछ दूर पड़ाव डाला। इस स्थान को बादशाही बाग़ के नाम से जाना जाता है।