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उदयपुर

पहाड़ी इलाकों के लिए आई अच्छी खबर, अब तिजोरी भरेगा पहाड़ी इलाके का ग्वारपाठा…

– ग्वारपाठा सहित विभिन्न वन उपज की लगेगी प्रसंस्करण इकाइयां
– कोटड़ा व झाड़ोल में सफलता के बाद अन्य क्षेत्रों पर फोकस
– वन विभाग के अलावा एमपीयूटी के कदमताल

उदयपुरMar 01, 2019 / 12:55 pm

manvendra singh

Good news for hilly areas of udaipur about Aloevera

पहाड़ी इलाकों के लिए आई अच्छी खबर, अब तिजोरी भरेगा पहाड़ी इलाके का ग्वारपाठा

मानवेन्द्रसिंह राठौड़/उदयपुर. आदिवासी क्षेत्रों में प्रमुखता से मिलने वाले ग्वारपाठा, महुआ, सीताफल, कीकोड़ा, कणज, पलाश आदि को अब चिकित्सकीय उपयोग के साथ रोजगारपरक बनाने के लिए वन विभाग और महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय ने मिलकर कदम बढ़ाए हैं। कोटड़ा व झाड़ोल के बाद जिले के सभी उपखंड क्षेत्रों में इनकी प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जाएगी। पहले चरण में वन विभाग ने ग्वारपाठे को शामिल किया है। उल्लेखनीय है कि उदयपुर जिले के कोटड़ा व झाड़ोल क्षेत्र में तो वन विभाग ने कई स्वयं सहायता समूहों को इससे जोड़ा है तो बांसवाड़ा में वाग्धरा संस्था व भूमिका परियोजना के तहत आदिवासी परिवार जैविक खेती कर विभिन्न उत्पाद बना रहे हैं। सरकार की मंशा है कि इससे जंगल भी बचे रहेंगे और रोजगार मिलने से आदिवासी परिवारों की जिन्दगी भी संवर सकेगी।
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शुरूआत के बाद इस कार्य में प्रोडक्ट भी बढ़ाते गए। जंगल के पास रहने वालों को वहीं रोजगार मिल गया और जंगल भी संरक्षित हुआ है। यहां के जंगल में बनने वाली हर्बल गुलाल और ग्वारपाठे के जैल की मांग रहती है। इसका और विस्तार किया जाएगा। – ओपी शर्मा, उप वन संरक्षक (उत्तर)

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