केस एक
शहर के बाहुबली कॉलोनी में 50 वर्षीय विधवा महिला सब जगह चक्कर लगा चुकी लेकिन उसे यह लाभ नहीं मिला। बीमारी से पति की मौत हो गई लेकिन खाद्य सुरक्षा के लिए पार्षद से लेकर सरकारी विभागों में जाकर आ गई लेकिन नाम नहीं जुड़े तब तक फायदा नहीं मिल रहा। कोरोना ने मुश्किलें बढ़ा दी है।
विधवा, विकलांग, ठेले वाले व श्रमिकों के नाम पार्षदों के पास बड़ी संख्या में है। पार्षद बोले कि आवेदन नहीं ले रहे है तब भी लोग देकर चले जाते है। गरीबों को इस समय इस योजना का फायदा चाहिए लेकिन उनको तकलीफ के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है।
सुंदरवास क्षेत्र में विकलांग व विधवा महिलाएं राशन की दुकान से लेकर कलक्टरी तक के चक्कर लगा चुकी। वहां के पार्षद भी नगर निगम में जाकर थक गए लेकिन जरूरतमंद को पूरे कोरोना काल में इस योजना का लाभ नहीं मिल सका।
पत्रिका व्यू….
सांसद-विधायक आवाज बने ऐसे जरूरतमंदों की खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जोडऩे के लिए केन्द्र व राज्य सरकार के स्तर पर पोर्टल को शुरू करने के लिए हमारे सांसदों व विधायकों को ऐसे परिवारों की आवाज बनना चाहिए। सरकार के स्तर पर पोर्टल बंद है और इस कोरोना के संकट में इन लोगों की मदद के लिए वे राज्य व केन्द्र सरकार तक अपनी मजबूत पैरवी करते हुए नाम जुड़ाने की प्रक्रिया के लिए पोर्टल खुलवाने के प्रति काम करें। स्वयं इन जनप्रतिनिधियों के पास ऐसे परिवारों से लेकर इनके नीचे के स्तर के जनप्रतिनिधि तक पहुंच ये पीड़ा बता रहे है। सारी चीजे सबके सामने है, कोरोना व लॉकडाउन से ऐसे परिवारों पर बीत रही स्थिति इनके सामने है, ऐसे में इसके लिए ऐसे जरूरतमंद लोगों की आवाज बनना चाहिए।