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प्राइवेट कैब्स के एप्स से पहले कस्टमर्स को ढूंढा जाता है। जैसे ही कस्टमर एप के माध्यम से कैब बुक कराते हैं, ये ड्राइवर्स वहां कार लेकर पहुंच जाते हैं। वे पहले कस्टमर से जबरन राइड कैंसल कराते हैं और एप में आ रहे किराए के अनुसार नहीं बल्कि दोगुना किराया देने पर ही कैब से छोड़ने की बात कहते हैं। मजबूरी में टूरिस्ट को दोगुना पैसा देकर गंतव्य स्थान तक पहुंचना होता है।
कंपनियों के कस्टमर केयर और सोशल मीडिया हैंडल्स पर शिकायतों की बाढ़: ओला और उबर के एप्स से कैब्स बुक होती हैं, ऐसे में इनकी सर्विसेस को लेकर कई बार सवाल उठाए जा चुके हैं। कंपनियों के कस्टमर केयर और सोशल मीडिया हैंडल्स तक पर लोग शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद कंपनियों ने इस ठगी को रोकने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाए हैं। वहीं, कोई एकमुश्त किराया भी तय नहीं होने से कैब ड्राइवर्स मनमानी कर रहे हैं और पर्यटक व अन्य लोग परेशान हो रहे हैं।
केस 01
वेदांग गुप्ता को उदयपुर एयरपोर्ट से शोभागपुरा आना था। उन्होंने कैब बुक की जिस पर डेस्टिनेशन तक पहुंचने का 750 रुपए बता रहा था, लेकिन ड्राइवर ने एप के अनुसार पेमेंट लेने से मना कर 1200 रुपए में ले जाने को कह दिया। ड्राइवर से काफी बहस करने के बाद भी वह नहीं माना और उसने कैब कैंसल करने को बोल दिया। आखिर, दूसरी कोई सुविधा रात में वहां नहीं होने पर मजबूरी में 1200 रुपए देकर आना पड़ा।
केस 02
आरंभ सैनी ने उदयपुर एयरपोर्ट से कैब बुक कराई। ड्राइवर ने बुकिंग ली और कॉल कर पूछा कहां जाना है और एप पर शो हो रहे पेमेंट के बजाय उसने अपनी रेट बताई, जो काफी ज्यादा थी। जब उसे उसकी रेट लेने पर मना किया तो उसने बोला कि आप कोई भी कैब बुक कराओ, सभी इतना ही चार्ज करेंगे।
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हर दिन ठगी का शिकार हो रहे टूरिस्ट्स
ठगी का शिकार हो चुके पीयूष सोनी ने सोशल मीडिया पर भी इन एप्स के सपोर्ट हैंडल को टैग कर लूट के खेल की शिकायत की है। सोनी के अनुसार उदयपुर एयरपोर्ट पर ड्राइवर्स केवल एप्स इसलिए यूज कर रहे हैं ताकि वे कस्टमर्स को ढूंढ सकें। बाद में वे राइड कैंसल करा खुद का किराया बताते हैं जो कि एप्स के किराए से दोगुना होता है। वहीं मानस मृणाल ने सोशल मीडिया पर उनके साथ हुई घटना शेयर की और कंपनियों के सपोर्ट हैंडल को टैग करते हुए इस लूट की जानकारी दी। एयरपोर्ट पर हर कैब ड्राइवर बुकिंग कैंसल कर उनके अनुसार किराया लेकर ट्रेवल करने पर मजबूर कर रहे हैं। मना करने पर वे दूसरे ग्राहकों के पास पहुंच जाते हैं। कई लोग परिवार साथ में होने, रात हो जाने या अन्य कैब नहीं मिलने के कारण मजबूरी में मुंहमांगी राशि दे देते हैं।