रुमी का पैर अचानक एक प्लास्टिक के बोतल पर पड़ता है जिससे साहिबा का शक यकीन में बदल जाता है। वह अपने कमरे को खोलने के लिए दरवाजे पर खड़ी होती है तो घबरा जाती है। घबराहट में उसका बैग गिर जाता है। रुमी एक दीवार के पीछे छुपा है वह उसके कमरे का कार्ड ले लेता है और उस पर स्केच कर देता है। वह कार्ड फिर वहीं पास में रख देता है। जब साहिबा कमरा खोलने की कोशिश करती है तो कार्ड पर स्केच होने की वजह से ताला खुलता नहीं है। रुमी धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ता है। साहिबा को फिर महसूस होता है जैसे कोई उसके पीछे ही खड़ा है। वह जैसे ही पीछे मुड़ती है तो अंगद खड़ा दिखता है।
साहिबा के लवर ने भेजे फूल
अंगद वहां पर है यह रुमी दूर से देखता है। वह पूछेगी कि वही है जो उसके पीछे खड़ा था। अंगद बताएगा वह नहीं था शायद उसका लवर है जिसने उसे ये फूल भेजे हैं। वह सवाल उठाएगा उस मिर्जा के लिए ही वह साड़ी पहनकर तैयार रहती है। साहिबा उस पर इल्जाम लगाएगी शायद वह जानबूझकर यह फूल खुद लेकर आया है। अंगद पूछता है उसके नाम से ससुराल में फूल आ रहे हैं। इसका जवाब उसे देना होगा। वह झूठ नहीं बोलती लेकिन अंगद कहेगा उसे झूठ बोलने के अलावा आता ही क्या है।
गुस्से में साहिबा वहां से निकल जाती है। वह हॉस्टल के बाहर आ जाती है। अंगद उसे घर चलने के लिए कहेगा क्योंकि उसके साथ अभी जो हो रहा है उसे यह ठीक नहीं लगता। साहिबा घर नहीं जाना चाहती। अंगद उसका हाथ पकड़ता है तो साहिबा अपना हाथ छुड़ा लेती है। अंगद और साहिबा के बीच यह सब चल रहा होता है तो रुमी दूर से यह सब देख रहा होता है। अंगद उसकी सेफ्टी को लेकर परेशान है। आज वह फूल भेज रहा है कल कुछ भी कर सकता है। ऐसे लड़के को हल्के में नहीं लेना चाहिए। वह बरार फैमिली तो नहीं जाना चाहती तो वह अपने मां-बाप के घर चली जाए।
अंगद ने तोड़ा साहिबा का दिल
साहिबा, अंगद से कोई मदद नहीं लेना चाहती। एक बार उसका दिल टूट चुका है तो वह दोबारा भरोसा नहीं कर सकती। अंगद कहता है, ‘तुम जो कुछ कह रही हो ये बातें तो मुझे कहनी चाहिए। तुमने दिल तोड़ा है मेरा।’ वह आगे कहेगा दुनिया की नजरों में आज भी वह उसकी बीवी है और कोई उसे इस तरह से फूल नहीं भेज सकता। साहिबा उसे जवाब देती है कि उसे इस बात की फिक्र है कि उसकी बीवी का नाम खराब होगा। इस वजह से वह यहां आया है।