उन्होंने पहले ही अग्नि देव से विनती कर सीता की आत्मा को उन्हें सौंप दिया था, जब तक कि वे रावण का वध नहीं कर देंगे। दरअसल, रावण, सीता को हरण कर ले गए थे, लेकिन वे केवल परछाई सीता ही थीं। उनकी आत्मा को तो पहले राम ने अग्नि देव को सौंप दिया था। यह बात राम अपने भाई लक्ष्मण को भी नहीं बताई थी। जबकि वे अपने भाई से कोई भी बात नहीं छिपाते थे।
राम से विद्रोह के लिए तैयार हो गए थे लक्ष्मण
रावण का वध करने के बाद राम ने विभिषण को लंका का महाराज घोषित कर उनका राज्यभिषेक कराया। उसके बाद लक्ष्मण ने भाई राम से माता—सीता को लाने की बात रखी। इस पर राम ने कहा कि लक्ष्मण, सीता को मेरे पास आने से पहले अग्नि से गुजरना होगा। इस बात पर लक्ष्मण, राम से खफा हो गए और यहां कि उन्होंने अपने भाई को माता सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरने के लिए विद्रोह करने तक धमकी दे डाली थी।
इसके बाद राम ने लक्ष्मण को बताया कि असल में वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि असली सीता को हासिल कर सके। उन्होंने बताया कि यह तो सीता की परछाई है और उनकी सीता की आत्मा तो अग्नि देव के पास है। इसलिए असली सीता को पाने के लिए उन्हें अग्नि से गुजरना पड़ा।