प्रणव का कहना है कि मुंबई और जयपुर की दिवाली में बहुत अंतर है। ‘वहां लोग पार्टी करते हैं, कार्ड खेलते हैं लेकिन जयपुर में हम घरवालों के साथ इस त्योहार को एंजॉय करते हैं। साथ ही दोस्तों के साथ घूमना, मस्ती करना, पटाखे चलाना ये सब मुंबई में बहुत मिस करता हूंं। वैसे भी त्योहार तो घरवालों के साथ ही अच्छे लगते हैं।’
100 किमी का सफर तय करता था रोजाना:
प्रणव ने बताया, ‘जब मैं जयपुर से मुंबई गया तो शुरुआती संघर्ष के दिनों में मैं महाराष्ट्र के बोईसर में हमारे एक रिश्तेदार के पास रहता था। मुझे वहां से रोजाना ट्रेन से अंधेरी जाना होता था और वहां से अंधेरी तक की दूरी करीब 100 किमी थी। कई बार रात को लौटते समय जब अंतिम ट्रेन छूट जाती थी तो वहीं रहना पड़ता था।’
कॉर्मिशयल पायलट बनना चाहता था:
प्रणव के पिता आयुर्वेद के डॉक्टर हैं और उनके दादाजी भी इसी प्रोफेशन में थे। ऐसे में उनके पिता चाहते थे कि वे भी इसी क्षेत्र में कॅरियर बनाएं लेकिन प्रणव कर्मिशयल पायलट बनना चाहते थे। बाद में जब उन्होंने मिस्टर जयपुर का खिताब जीता और थियटर करना शुरू किया तो उन्होंने एक्टिंग में कॅरियर बनाने की ठानी।
जयपुर की हर चीज मिस करता हूं:
प्रणव का कहना है कि वह जयपुर में ही पले-बढ़े हैं। उन्होंने अपना अधिकांश समय यहीं बिताया है। ऐसे में वह जयपुर की हर चीज मिस करते हैं। यहां की हवा, दोस्तों के साथ बिताया वक्त, परिवार के साथ हर त्योहार मनाने की खुशी, बचपन की दि। उनका कहना है कि ये सब चीजें मुंबई में नहीं मिलती।