एक तरफ जहां कपाड़िया मेंशन में अनुज, छोटी अनु के पास है और उसे अनुपमा की याद आ रही है और वो उसे याद कर रो रहा है अनुज अनुपमा को याद करते-करते खुद से बात करेगा। लेकिन ये भी कहेगा कि सपने को पूरा जरूर करना। तो दूसरी तरफ शाह परिवार में बापूजी आते हैं और सभी से बातें करते हुए अनुपमा को याद करते हैं। अनुपमा की बाते करते हैं। इसके बाद अगली सुबह पूरा शाह परिवार, कपाड़िया मेंशन जाता है और अनुज और उसके परिवार के लोगों से मिलता है।
बापूजी, अनुज से छोटी अनु का हाल पूछते हैं तो वो कहता है- ‘ठीक नहीं है, लेकिन मैं संभाल लूंगा।’ इसके बाद वो पूछते हैं- ‘तू कैसा है?’ ये सुनकर अनुज, बापूजी को गले लगा लेता है और उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। तभी छोटी अनु के फिर से मम्मी कहने की आवाज आती है और वो रूम से बाहर आ जाती है हर दिन की बातें रिपीट करने लगती है। ये देख सभी लोग परेशान और इमोशनल हो जाते हैं। इस दौरान काव्या उसे संभाल लेती है।
ऐसे में वनराज, अनुज से पूछता है- ‘अगर तुम बुरा न मानो तो हम छोटी को कुछ टाइम के लिए घर ले जाएं?’ वनराज कहता है- ‘छोटी को किसी ट्रीटमेंट नहीं बल्कि प्यार की जरूरत है। हो सकता है कि वो ऐसे ही शॉक से बाहर आ जाए।’ अनुज, वनराज की बात मान जाता है। अनुज ये फैसला दिल पर पत्थर रखकर सिर्फ छोटी अनु की खुशी के लिए लेता है, क्योंकि उसके लिए भी छोटी अनु से दूर रहना मुश्किल है।