घर में गीता बाई की बदतमीजी को बढ़ता देख अनुपमा और काव्या के बीच खूब झगड़ा होता है। जिसके बाद अनुपमा फैसला लेती है कि अब गीता बाई घर में काम नहीं करेगी। घर से जाते हुए अनुपमा गीता बाई के पास जाती है और उन्हें समझाती हैं। जिसे सुनकर गीता इमोशनल हो जाती है। वो अनुपमा से कहती है कि वो उनके साथ काम करना चाहती है। कभी भी उसकी जरुरत पड़े तो बुला लेना। गीता अनुपमा को एक दिन के पैसे काटे कर सारे पैसे वापस कर देती है।
बॉ-अनुपमा के बीच बात
गीता के जाते ही अनुपमा बॉ के पास जाती है और देखती है कि उनका सिर दर्द हो रहा है। अनुपमा चाय बनाने के लिए पूछती है लेकिन बॉ काव्या को ताना देने लगती है। अनुपमा बॉ को समझाती हैं कि उन्हें काव्या और वनराज के बीच नहीं बोलना चाहिए। जिसके बाद अनुपमा बॉ को मां कहकर गले लगा लेती हैं। ये काव्या देख लेती है और मन-मन ही सोचती है अनुपमा काफी चालक है।
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वट सावित्री का व्रतकिंचल ऑफिस जाते हुए अनुपमा से कहती है कि वो सारा सामान ले आए क्योंकि उसे नहीं पता कि कौन सी चीज़ कहां मिलती है। बॉ अनुपमा से कहती है कि वो ही पूजा का सामान लाए। ये सुनकर काव्या पूछती है कि है कि कौन सी पूजा है। अनुपमा बताती है कि वट सावित्री का व्रत है। इस व्रत में एक पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूजा करती है।
समर नंदनी के घर खाना लेकर जाता है। नंदनी को खाना खाते हुए नंदनी कहती है कि लोग कैसे भूखे रह जाते हैं। ये सुनकर समर कहता है कि शादी के बाद कभी-कभी व्रत रखने के लिए भूखा रहना पड़ता है। जिसे सुनकर नंदनी समर का मज़ाक उड़ाने लगती है। जिसे देख समर वट सावित्री व्रत के बारें में नंदनी को नहीं बताता।
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काव्या ने दी अनुपमा को घर जाने की सलाह
बॉ, किंचल और अनुपमा आंगन में बैठकर वट सावित्री व्रत की पूजा की तैयारी कर रही होती हैं। तभी काव्या आती है और अनुपमा से कहती है कि वो कल अपने घर चली जाए। वो यहां रहेंगी तो वनराज और उसे साथ में देखकर जल भून जाएंगी। साथ ही हम पर नज़र भी लगा देगी। ये बात सुनकर अनुपमा कहती है कि वो काव्या नहीं बन सकती। अनुपमा काव्या को सलाह देती है कि वो अनुपमा ना बने कभी। अपने रिश्ते को हमेशा मजबूती से थामे रखे।
अनुपमा का छलका दर्द
वट सावित्री व्रत के पहले अनुपमा अपनी बहू किंचल को खाना खिला रही होती है। सबका खाना के चले जाते हैं तो बॉ अनुपमा से पूछती हैं कि वो ठीक है। ये बात सुनकर अनुपमा का इमोशनल हो जाती है और बॉ से कहती है कि कुछ ठीक नहीं है। अनुपमा बॉ को याद दिलाती है कि कैसे पहले वो उन्हें खाना खिलाया करती थी। ऐसा पहली बार होगा जब वो वट सावित्री का व्रत नहीं रखेंगी। अनुपमा कहती है कि एक रिश्ता क्या टूटा सब खत्म हो गया। बॉ अनुपमा को समझाती है कि पुराने जख्म धीरे-धीरे ही भरेंगे। लेकिन नए जख्मों के लिए तैयार रहना पड़ेगा।
( Pre– काव्या और अनुपमा के बीच कोल्ड वॉर जारी है। वट सावित्री के व्रत को लेकर काव्या अनुपमा को ताना सुनाती है। वहीं अनुपमा का दर्द बॉ के आगे छलक जाता है। )