वनराज ने समर को कहा विनर
वनराज समर को कहता है कि वो समझता है जो वो कहना चाहता है, लेकिन काफी सोच-समझकर अपना फैसला लेना। वहीं अनुपमा समर को समझाती है कि परिवार में कोई भी आगे बढ़े उसके साथ पूरा परिवार आगे बढ़ता है। समर कहता है कि और जो सपने उनके साथ देखें हैं। तो अनुपमा कहती है कि सारे सपने पूरे होते हैं लेकिन खुद की शर्तों पर। अनुपमा कहती है कि वो अपने दिल की सुन वो क्या चाहता है। सबकी बातें भूल जाए। वनराज कहता है कि वो जो भी फैसला ले वो विनर ही बनेगा।
तोषो को किया किंचल ने याद
कमरे में सहमी बैठी किंचल होती है। उसका बॉस बार-बार उसे फोन करता रहता है। ये देख किंचल घबरा जाती है। किंचल मन ही मन कहती है कि तोषो उसके पास क्यों नहीं है। घर में पहले ही इतनी सारी बातें हो रही हैं। वो कैसे इसे संभालेंगी। तभी नीचे अनुपमा सोचती है कि किंचल अभी तक क्यों नीचे नहीं आई। उसके ऑफिस जानें का भी टाइम हो गया है। अनुपमा बताती है कि वो जब ऑफिस से भी आई थी। तब थक कर सो गई थी। तभी किंचल नीचे आ जाती है।
ढोलकिया ने बुलाया काव्या को वापस
किंचल आती है और अनुपमा के गले लग जाती है। किंचल की परेशानियों को अनुपमा महसूस कर लेती है। काव्या किंचल से कहती है कि क्या आज उसका ऑफ है? किंचल बताती है कि उसका मन नहीं है इसलिए नहीं जा रही है? तभी काव्या के पास किंचल के बॉस ढोलकिया का फोन आता है। ये देख काव्या काफी खुश हो जाती है। काव्या ढोलकिया से बात करती है। फोन कटते ही वो काव्या बताती है कि उसे ढोलकिया ने उसे किंचल का प्रोजेक्ट और उसकी पॉजिशियन दे दी है। ये सुनकर पूरा परिवार हैरान हो जाता है। काव्या कहती है कि किचंल को नौकरी से निकाल दिया है।
काव्या को मिली किंचल की जॉब
किंचल काव्या को कहती है कि उसे निकाला नहीं गया है। काव्या कहती है कि हर कोई जॉब छोड़ने के बाद यही कहता है। किंचल काव्या को काफी समझाने की कोशिश भी करती है कि उसे भी वहां जॉब करने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन काव्या है कि सुनती नहीं है। काव्या को लगता है कि किंचल उससे जल रही है। काव्या का बर्ताव देख रोते हुए किंचल अपने कमरे में चली जाती है। ये देख वनराज अनुपमा को कहता है कि वो उसे संभालें।
किंचल ने अनुपमा को बताई ढोलकिया की हरकत
किंचल अपने कमरे में रो रही होती है। अनुपमा किंचल के पास जाती है और पूछती है कि क्या ढोलकिया ने कुछ किया। किंचल बताती है कि कैसे ढोलकिया का बर्ताव उसके साथ खराब होता चला गया। किंचल को बात साफ नहीं बता पा रही होती है, लेकिन तभी अनुपमा बताती है कि क्या वो काम के बहाने उसके पास आता था। उसके साथ अपनी और उसकी निजी जिंदगी की बातें करने की कोशिश करता था। अजीब नज़रों से देखता था। किंचल पूछती है कि उन्हें ये बात वो कैसे जानती है।
अनुपमा बयां किया हर औरत का दर्द
अनुपमा कहती है कि ये कहानी दुनिया की सारी औरतें जानती है। चाहे वो काम करने वाली औरत हो, गृहणी हो, चाहे वो जवान हो, बूढ़ी हो या बच्ची हो। औरत चाहे कुछ सीखे या ना सीखे लेकिन मर्द की बुरी नियत को पहचनाना शुरू कर देती है। किंचल कहती है कि ढोलकिया के आते ही अजीब सा लगने लगता है। किंचल कहती है कि उसने कभी छूआ नहीं और ना ही कभी बदतमीजी की। अनुपमा कहती है कि उसने बदतमीजी की, बदतीमीजी करने के लिए छूने की जरूरत नहीं होती है। कुछ आदमी अपनी नज़रों से ऐसी हरकतें करते हैं कि हज़ार भी अगर गंगाजल से नहा लिया जाए तो भी ऐसा लगता है कि उन मर्दों की गंदी नज़रे उन पर ही हैं।
ढोलकिया करता था पास आने की कोशिश करता था
किंचल बताती है कि बार अपनी पत्नी की कहानी सुनाता था। कहता है कि उसकी और उसकी पत्नी की बनती नहीं है। उसके और तोषो के बारें में भी पूछता था। बार-बार कैबिन में बुलाता और उसे ही देखता रहता। किंचल बताती है कि शुरूआत में वो इग्नोर करती रही लेकिन अब उसके लिए इग्नोर करना भी मुश्किल हो गया था। वो बोलता रहा कि पार्टिज में चलो, लेट तक उसके साथ काम करें, वो उसे ट्रिप्स पर ले जाए। जैसी ही उसने कोई एक्शन लिया ।अनुपमा कहती है कि उसने सभी के सामने उनकी बेइज्जती की और उसके काम में नुख्स निकाला।
किंचल को दी अनुपमा ने आवाज़ उठाने की हिम्मत
किंचल रोते हुए अनुपमा के गले लग जाती है। किंचल कहती है कि वो ऑफिस नहीं जाएगी। वो उस ऑफिस जाएगी जहां पर ढोलकिया नहीं होगा। अनुपमा कहती है कि होगा। किंचल जब इसका मतलब पूछती है कि अनुपमा बताती है कि दुनिया के हर ऑफिस, दुकान, बस,गाड़ी, बाज़ार, गली, में कोई ना कोई ढोलिकया होगा ही। अनुपमा किंचल से कहती है कि उसे कहीं ना कहीं एक ढोलकिया तो मिलेगा ही जिसने जिंदगी में तमीज नहीं सीखी। किंचल पूछती है कि वो फिर क्या करें? अनुपमा कहती है कि थप्पड़ मार, अगर थप्पड़ भी नहीं मार सकती तो बोल और अगर बोल नहीं सकती तो लिख। शिकायत कर अनुपमा किंचल को समझाती है कि सोशल मीडिया पर अपनी बातें रखें।
अनुपमा ने किंचल को अपने सम्मान के लिए लड़ने को कहा
अनुपमा किंचल को हिम्मत देते हुए कहती है कि वो अपनी चुप्पी तोड़े और उनकी ताकत भी तोड़े। अनुपमा कहती है कि वो जानती है कि औरतें तमाशा करने और बनने से डरती है। सोचती है कि वो थोड़ा और सह ले। शोर मचाएगी तो सुकून चला जाएगा। अनुपमा किंचल को कहती है कि उसका मानना तो है ये है कि सुकून जाए तो जाए सम्मान नहीं जाना चाहिए। और सम्मान के लिए औरत खुद नहीं लड़ेगी तो कौन लड़ेगा। अनुपमा कहती है कि हर चीज़ की कीमत देनी पड़ती है। इस लड़ाई की भी कीमत देने पड़ेगी लेकिन सिर उठाकर।
किंचल की बदनामी करेगा ढोलकिया
अनुपमा किंचल को कहती है कि वो ऐसे डर कर नहीं रह सकती है। अनुपमा कहती है कि उसने 25 साल घर में रहीं लेकिन वो भी अपने अधिकार के लड़ी। अनुपमा किंचल को समझाती है कि वो यूं नहीं घर में बैठ सकती है। किंचल कहती है कि वो बात यहीं खत्म करना चाहती है। अनुपमा कहती है कि वो बात खत्म कर देगी, लेकिन ढोलकिया नहीं करेगा। वो ऑफिस में सबके सामने उसकी बदनामी करेगा और शायद कल को और लड़की के साथ भी ऐसा करेगा।
किंचल नहीं चाहती बढ़े बात
किंचल कहती है कि वो कुछ नहीं करना चाहती है। किंचल कहती है कि वो घर में भी किसी को ना बताए। वो काव्या को भी वहां काम ना करने जाए। अनुमपा किंचल को काफी समझाने की कोशिश करती है, लेकिन किंचल साफ मना कर देती है। किंचल कहती है कि उसे कोई क्रांति नहीं करनी है। किंचल कहती है कि वो घर में भी किसी को कुछ ना बताएं। अनुपमा किंचल को आराम करने को कहती है। लेकिन अनुपमा मन ही मन ढोलकिया को सबक सिखाने का सोचती हैं।
किंचल की बातों में खोई-खोई अनुपमा
अनुपमा और वनराज कैफे में मिलते हैं। जहां वनराज अनुपमा से पूछता है कि किंचल से कोई बात हुई। अनुपमा कहती है कि बस उसे ऑफिस की परेशानी थी। अनुपमा अपनी डांस क्लास में जाती है और वहां पर उन्हें किंचल की कही बातें याद आ रही होती है। तभी नंदनी अनुपमा को गाना चलाने को कहती है, लेकिन अनुपमा गाना बंद कर देती है। तभी एक बच्ची अनुपमा से अनुपमा से पानी मांगती है, लेकिन अनुपमा बच्चों को घुँघरू दे देती है। ये देख नंदनी समझ जाती है कि अनुपमा परेशान है।
बैंक कर्मचारियों को देख घबरा गई अनुपमा
तभी समर अनुपमा के पास आता है और कहता है कि बैंक वाले आ गए हैं। अनुपमा कहती है कि वो अपने पिता वनराज से कागज देखने को बोल दें। समर बताता है कि वो किसी काम से बाहर चले गए हैं। ये सुनकर अनुपमा घबरा जाती है। अनुपमा कहती है कि वो कैसे अकेले पेपर्स पढ़ेगी। समर कहता है कि वो उसके साथ है। अनुपमा बाबू जी को पेपर्स पढ़ने के लिए वीडियो कॉल करती है। लेकिन नेटवर्क की वजह से फोन नहीं लगता। वनराज भी फोन नहीं उठाता।
किंचल के बातों से परेशान अनुपमा
अनुपमा बैंक से आए लोगों के सामने बैठती है। वो अनुपमा से ना घबराने की बात कहते हैं। बैंक कर्मचारी समझाते हैं कि उन्हें बस पेपर्स जमा कराने हैं। तभी डांस एकेडमी में एक बच्चा गिर जाता है और नंदनी समर को बुला लेती है। अनुपमा अकेले पड़ जाती है। बैंक कर्मचारी अनुपमा को कहते हैं कि वो पेपर्स पर साइन कर दें बस। तभी कैफे में एक टेबल पर अनुपमा की नज़र पड़ती है। टेबल पर बैठ रहे लोगों में अनुपमा को ढोलकिया और किंचल की छवि नज़र आती है।
( Precap– अनुपमा से वनराज पूछता है कि किंचल को क्या हुआ है? वनराज कहता है कि ढोलकिया ने किंचल के साथ बदतमीजी की है? अनुपमा की चुप्पी को वनराज भांप लेता है। समर और वनराज डंडे लेकर ढोलकिया को सबक सीखाने निकल रहे होते। तभी अनुपमा दोनों को रोकने की कोशिश करती है। अनुपमा कहती है कि वो भी किंचल की इस लड़ाई में हैं। काव्या अनुपमा पर तंज कसती है कि जो औरतर 25 सालों में खुद के लिए नहीं बोल पाई वो किंचल के लिए लड़ेगी अब। )