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बुक लवर डे: लेखन को बनाया जीवन का हिस्सा, लोग जुड़ते गए, कारवां बनता गया

Book lover day क्षीण होती सामाजिकता के बीच गिरते व बदलते मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में डॉ. नेगी ने वर्तमान व भावी पीड़ी (छात्र-छात्रा) में सृजनशीलता तथा सकारात्मक भाव पैदा करने की सोची।

टोंकAug 09, 2019 / 06:18 pm

pawan sharma

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बुक लवर डे: लेखन को बनाया जीवन का हिस्सा, लोग जुड़ते गए, कारवां बनता गया

टोडारायसिंह. उत्तराखंड की प्राकृतिक छठां के बीच कठिनाई व आर्थिक अभावों से जूझते पहाड़ी परिवेश में आरम्भिक जीवन जीने वाले डॉ. सूरज सिंह नेगी ने संवेदनशील व सहृदय व्यक्तित्व से प्रशासनिक पद पर रहते साहित्यिक गतिविधियों के महत्वपूर्ण केन्द्र रहे टोंक जिले के साहित्यिक ठहराव में फिर से हलचल पैदा की है।
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जिसमें न केवल साहित्यकार बल्कि विभिन्न मंचो के माध्यम से छिपी प्रतिभा को निखारते हुए बाल साहित्यकारों के सृजन का प्रयास किया है। क्षीण होती सामाजिकता के बीच गिरते व बदलते मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में डॉ. नेगी ने वर्तमान व भावी पीड़ी (छात्र-छात्रा) में सृजनशीलता तथा सकारात्मक भाव पैदा करने की सोची।

वर्तमान में डॉ. सूरजसिंह नेगी टोडारायसिंह में एसडीएम पद पर कार्यरत है। यूं तो टोंक जिला प्रशासनिक कार्य क्षेत्र रहा है, लेकिन उक्त भूमि पर प्रशासनिक पद पर रहते उन्होंने साहित्य व सृजनशीलता के बीज बोए है।
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अप्रैल 2016 में प्रथम किताब पापा फिर कब आओगे, कहानी संग्रह तथा इसी सत्र में प्रथम उपन्यास रिश्तों की आंच तथा 2017 में रिश्तों की आंच का उर्दू संस्करण प्रकाशित हुआ। इसके बाद 2018 में उपन्यास वसीयत का प्रकाशन हुआ।

– प्रकाशित साहित्यिक रचनायें
‘पापा फिर कब आओगे’ (कहानी संग्रह) 2016 , ‘रिश्तों की आँच’ (उपन्यास) 2016 , ‘रिश्तों की आँच’ (उपन्यास) उर्दू संस्करण, 2017, ‘वसीयत’ (उपन्यास), 2018 , ‘नियति चक्र’ (उपन्यास), 2018 , ‘साहित्य कुंदन’ (साझा संग्रह) में आलेख प्रकाशन, 2018 के अलावा मधुमति, योजना, कुरूक्षेत्र, ‘द को आपरेटर’, क्रानिकल, राजस्थान विकास, राविरा, प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में तीन दर्जन से अधिक आलेख प्रकाशित तथा प्रसारणों में वर्ष 1991 से 1997 के दौरान आकाशवाणी जयपुर से विभिन्न कहानियों एवं वार्ताओं का प्रसारण, वर्तमान में राजस्व सम्बन्धी विषयों पर वार्ताओं में भाग लिया हैं।
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-स्कूलों में बाल साहित्यकारों की तलाश
सामाजिक सरोकार में टोंक व अजमेर जिलों में पदस्थापन दौरान सरकारी विद्यालय गोद लेकर उनमें विभिन्न नवाचार शुरू करवाएं तथा सृजनात्मक गतिविधियों के माध्यम से बाल साहित्यकारों का सृजन किया। स्कूली बच्चों में साहित्य, कला के प्रति अनुराग के दृष्टिकोण से टोंक, बूंदी व सरवाड़ (अजमेर) में रहते विभिन्न स्कूलों में कहानी लेखन, कविता लेखन, पत्र लेखन, चित्रकला, शिल्पकला से सम्बन्धित प्रतियोगितायें आयोजित करवाई।
पत्र लेखन विधा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘मां तुम कैसी हो’ (बेटे द्वारा मां को पत्र लेखन), ‘गुरू की पाती षिष्य के नाम’ (गुरु द्वारा शिष्य को पत्र लेखन) ‘पिता की पाती संतान के नाम’ (पिता द्वारा अपनी संतान को पत्र लेखन) ‘मां की पाती बेटी के नाम’ (मां द्वारा अपनी बेटी को पत्र लेखन) आदि लेखन प्रतियोगिताएंं आयोजित करवाई गई है। टोंक में जरूरतमंद विद्यार्थियों की सहायता के लिए उपखण्ड कार्यालय में एक ‘पुस्तक बैंक’ की स्थापना की।

– साहित्यिक गतिविधियों में पुरष्कार
साहित्यिक गतिविधियों में साहित्य सेवा में उत्कृष्ट लेखन के लिए ‘फकीर ऐजाजी एवार्ड, 2016 ’ साहित्य सेवा के लिए ‘डॉ. दुर्गालाल सोमानी पुरस्कार, 2016 ’, साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए अखिल भारतीय ज्योतिश संस्था, नई दिल्ली, चैप्टर टोंक की ओर से ‘मनुस्मृति सम्मान, 2016 व 2017’ साहित्य सेवा के लिए ‘मुंशी प्रेमचन्द हिन्दी साहित्य सम्राट पुरस्कार, 2017’ तथा राजकीय सेवा निर्वहन के लिए वर्ष 2005 में उपखण्ड स्तरीय सम्मान वर्ष 2003 एवं 2015 में श्रेष्ठ कार्य सम्पादन के लिए गणतंत्र दिवस पर जिला स्तरीय सम्मान प्राप्त हुआ।

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