टोंक

परिवहन सुविधाओं से मरहूम हैं दस पंचायतें, लटक यात्रा करने को मजबूर हैं ग्रामीण

आजादी के सात दशक गुजर जाने के बाद भी क्षेत्र में कई पंचायतें परिवहन के साधनों से वंचित है।
 

टोंकOct 09, 2019 / 10:46 am

pawan sharma

परिवहन सुविधाओं से मरहूम हैं दस पंचायतें, लटक यात्रा करने को मजबूर हैं ग्रामीण

आवां. आजादी के सात दशक गुजर जाने के बाद भी क्षेत्र में कई पंचायत मुख्यालय डामरीकृत सडक़ की बाट जो रहे हैं तो कई सडक़ होने पर भी परिवहन के साधनों से वंचित है। सीतापुरा, राजकोट, टोड़ा का गोठड़ा, टोकरावास, ख्वासपुरा और कनवाड़ा सहित दस पंचायत मुख्यालयों पर परिवहन के साधनों का टोटा होने के कारण इन गांवों के लोगों को या पैदल आवां तक आना पड़ता है या अन्य किसी साधन की लिफ्ट लेकर आना पड़ता है।
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ऐसे में इन गावों के लोग बारिश में रास्ते अवरुद्ध हो जाने से परेशान हैं। इन से गांवों से जुड़े कल्याणपुरा, बिसनपुरा, नयागांव, ढीकला, लक्ष्मीपुरा, धारोला, धन्ना का झोंपड़ा, गुलाबपुरा, संग्रामगंज, माधोराजपुरा सहित दर्जनों गांवों में लोग आज भी निजी साधनों के भरोसे सफर तय करने को मजबूर हैं।
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कस्बे सहित बारहपुरे के लोगों को कोटा, अजमेर, भीलवाड़ा और जयपुर के लिए सरोली तक जाने के लिए निजी साधनों की शरण लेनी पड़ती हैं। इन पंचायतों के जनप्रतिनिधियों सहित ग्रामीणों ने सरकार से ग्रामीण सेवा की रोडवेज बसें संचालित करने की मांग की है।
नन्द लाल मीना, सत्यनारायण गुर्जर, राधाकिशन मीना, सम्पत सिंह, सत्यनारायण माहेश्वरी, कमलेशपुरी, राजाराम जाट, देवलाल गुर्जर, प्रभु लाल गुर्जर, भंवर लाल गुर्जर, कल्याण नाथ सहित बारहपुरों के बाशिन्दों ने बताया कि इन्हें बीमारी, अनहोनी और संकट के समय बहुत परेशानी होती है, जिनके पास स्वयं के साधन नहीं है, उनको तो इसका कई प्रकार का खमियाजा भुगतना पड़ता है।
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बून्दी का नहीं है, साधन
करोड़ों की सडक़ के बावजूद अभी भी बून्दी की राह पर सरकारी साधनों का अभाव है। इससे क्षेत्र की एक दर्जन पंचायतों को बून्दी की दूरी 25 से 30 किमी कम होने के बावजूद राहगीरों को खासा लाभ नहीं मिला है।

अलग-थलग पड़े हैं, आवां- टोकरावास
मदन लाल मीना, किस्तूर चन्द मीना, रमेश मीना के अनुसार आवां और टोकरावास पंचायत मुख्यालय 5 किमी ही दूर होने के बावजूद डामरीकृत सडक़ न होने से इनके गांव अलग-थलग पड़े हंै। बारिश में तो ये रास्ते पूरी तरह अवरुद्ध हो जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र की कई सडक़ों की बनने के बाद मरम्मत भी न हो पाने से इन पर चलना जोखिम भरा, कष्टदायी है।

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