इसमें उस गिरोह का पता चलेगा कि जिसने पांच साल पहले इस खेल की शुरुआत की थी। गौरतलब है कि पाकिस्तान से भारत आए विस्थापितों को आवंटित भूमि को फर्जी दस्तावेज व खातेदार बनाकर बेचने का खेल वर्ष 2018-19 में शुरू हुआ था। इसका खुलासा
राजस्थान पत्रिका के गत 6 सितम्बर के अंक में ‘6 साल पहले शुरू हुआ था बेचान का ‘खेल’, हरियाणा के लोगों ने की थी खरीद’ शीर्षक से किया था। इसके बाद मंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं।
कई गांवों में बेच दी जमीनें
मामले की परत खुलने पर यह सामने आ गया कि दो दर्जन रजिस्ट्रियां किसने कराई है। उम्मीद है कि प्रशासन के पास उन लोगों की जानकारी भी होगी, जिन्होंने जमीनों को बेचने का काम शुरू किया था। अब उन पर सिकंजा कसना बाकी है। वो नई जांच कमेटी करेगी। पुलिस भी मामले में निष्पक्षता बरतेगी। बच नहीं सकते आरोपी
उपरजिस्ट्रार की ओर से कोतवाली थाने में कांग्रेस के नगर परिषद पार्षद समेत सरपंच आदि 14 जनों के खिलाफ कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया गया है। इसमें पुलिस के सामने यह 14 आरोपी तो साफ हो गए। अब पुलिस रजिस्ट्री और नामांतरण में पटवारी, गिरदवार और उपपंजीयन कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों की जांच करेगी।
सीएम से की थी शिकायत
फर्जी दस्तावेज से हुई रजिस्ट्रियों की शिकायत भाजपा जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक अजीतसिंह मेहता ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से की थी। इसके बाद राजस्व मंत्री हेमंत मीना ने जिला कलक्टर को पत्र भेजकर संदिग्ध रजिस्ट्री तथा नामांतरण की निष्पक्ष जांच कराने को कहा है। दो दर्जन रजिस्ट्रियां फिर भी कर्मचारी-अधिकारी आरोपी नहीं
टोंक तहसील क्षेत्र में पाकिस्तान से भारत आए विस्थापितों को आवंटित लोगों की दो दर्जन रजिस्ट्रियां होना सामने आ चुका है। लेकिन गत दिनों हुई जांच में किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को दोषी नहीं माना गया। यह चौंकाने वाला बात है। जबकि रजिस्ट्री समेत नामांतरण खोलने में अहम भूमिका पटवारी से लेकर रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों की होती है।