एपीआरआई में दुनिया की सबसे बड़ी कुरआन समेत एक लाख 26 हजार 505 से अधिक दुर्लभ गं्रथ व किताबें हैं। इनमें से कई ग्रंथ तो ऐसे हैं, जो एपीआरआई के अलावा कहीं नहीं है। इनमें बगदाद पुस्तकालय के जाद-उल-मसीर तथा रेखा गणित पर आधारित तहरीर-ए-उन्लीदस है। जो लोगों को यहां आने के लिए आकृषित करता है। एपीआरआइ के कर्मचारियों के मुताबिक 1200 ईसा पूर्व बगदाद पुस्तकालय की करीब 10 लाख पुस्तकों को हलाकू ने दजला दरिया में डाल दिया था। एपीआरआई में रखी ये दो पुस्तकें दरिया में डाले जाने वाली ही है। इसके अलावा फारसी में लिखी महाभारत, भगवत गीता, औरंगजेब की हस्तलिखित कुरआन-उल-करीम, ईरान के 74 बादशाहों की जीवनी वाली अगराज-उस-सियासह तथा बादशाह अकबर तथा जहांगीर के फरमान समेत अन्य ग्रंथ भी एपीआरआइ के अलावा कहीं नहीं है।
आते हैं शोधार्थी
एपीआरआइ में युके, जर्मनी, जापान, बेहरीन, लंदन, बांगलादेश, सऊदी अरब, यूएसए, अमेरिका, जर्मनी, मिस्र, इजराइल, ऑस्ट्रेलिया, ईरान सहित करीब 50 देशों के शोधकर्ता एवं पर्यटक यहां पहुंच चुके हैं। इसके अलावा दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद, बिजनौर, उत्तरप्रदेश, अलीगढ़, इंदौर मध्यप्रदेश, अजमेर, बिहार पटना, कश्मीर से शोधार्थी आते हैं। यह वो शोधार्थी है जो अरबी और फारसी पर शोध कर रहे थे और जो जानकारी लेते हैं।
संस्थान में विभिन्न विषयों पर आधारित सैकड़ों साल पुरानी अमूल्य संग्रह है, जिनमें कुरआन, हदीस, विधि शास्त्र, खगोल शास्त्र, साहित्य, इतिहास, गणित, आध्यात्मिक विज्ञान, औषध विज्ञान, शास्त्रीय संगीत, सूफीज्म आदि के ग्रंथों के साथ ही कई ग्रंथ ऐसे हैं, जो दुनियां में कहीं नहीं है। दो ग्रंथ वो भी संस्थान की शोभा है, जिन्हें हलाकू ने मिटाना चाहा, लेकिन वो दो ग्रंथ 1200 ईस्वी से पूर्व के यहां सुरक्षित है।
टोंक जिले में फिलहाल काफी कम मात्रा में पर्यटक आते हैं। जबकि यह जयपुर और सवाईमाधोपुर के बीच का जिला है। मौलाना अबुल कलाम आजाद में सालाना दो से 3 दर्जन देशी-विदेशी शोधार्थी आते हैं। यहां जब प्राचीन गं्रथ समेत अन्य का म्यूजियम बन जाएगा तो जयपुर और सवाईमाधोपुर जाने वाला पर्यटक टोंक भी आएगा। ऐसे में टोंक में पर्यटकों के आने की सम्भावना बढ़ जाएगी।
सैयद सादिक अली, निदेशक, एपीआरआई टोंक