राजेन्द्र बागड़ी देवली. टोंक जिले के देवली शहर की भौगोलिक स्थिति पर वर्षों बाद भी किसी जनप्रतिनिधि को तरस नहीं आ रहा है। जहां देवली एक शहर होने के बावजूद यहां दो जिलों की सीमा परस्पर टकरा रही है। ऐसे में शहर का 60 फीसदी हिस्सा देवली(टोंक जिले) में है तो, 40 फीसदी भाग(भीलवाड़ा जिले)के अधीन आता है।
लिहाजा देवली शहरवासियों के लिए तो कोई दिक्कत नहीं, लेकिन भीलवाड़ा जिले के हनुमाननगर के लोगों को यह परिस्थिति बड़ी दु:खदायी है, जिन्हें हर छोटे-मोटे काम के लिए जहाजपुर व भीलवाड़ा जाना पड़ता है। दरअसल देवली शहर से हर तरफ कुछ दूरी पर दूसरे जिले की सीमा जुड़ी है।
इनमें पश्चिम की ओर 15 किमी. दूर पर अजमेर, करीब 20 किमी. दूरी पर बंूदी जिला व शहर से जुड़ा भीलवाड़ा जिले की सीमा है। रोचक तो यह है कि शहर की आबादी का 35 फीसदी से अधिक हिस्सा भीलवाड़ा जिले की कॉलोनियों में बसा है, जिनके लोगों के रोजमर्रा का जीवन शहर से संचालित हो रहा है।
उक्त क्षेत्र देवली शहर में होने के बावजूद स्थानीय प्रशासन यहां के वाशिन्दों की कोई मदद नहीं कर सकता। वहीं भीलवाड़ा जिले का अन्तिम हिस्सा होने के चलते प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की नजर यहां तक पहुंच नहीं पाती। अलबत्ता यहां के लोग विभिन्न मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी जद्दोजहद कर रहे है, जिनकी समस्या का निराकरण पैराफैरी क्षेत्र नगर पालिका में मर्ज करने के बाद हो पाएगा।
बिजली की समस्याउक्त क्षेत्र जहाजपुर उपखण्ड के ग्रामीण श्रेणी में आने के चलते यहां बिजली की समस्या सर्वाधिक है। वहीं इन समस्याओं का निराकरण भी जहाजपुर सहायक अभियंता कार्यालय से होता है। यहां बिजली नहीं आने, ट्रिपिंग व कर्मचारियों की ओर से सुनाई नहीं करने की समस्या अधिक है। उक्त क्षेत्र में दिनभर बिजली की ट्रिपिंग जारी रहती है। शिकायतों के बावजूद समस्या का निराकरण हुआ न उचित बंदोबस्त। लिहाजा क्षेत्रवासियों को आज भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
पैराफैरी में शामिल करे तो मिलेगा लाभक्षेत्र के लोगों का कहना है कि शहर की भौगोलिक स्थिति उनकी लिए परेशानी का सबब बन रही है। अन्तिम छोर होने से यह क्षेत्र विकास की दृष्टि से उपेक्षित है तो, नगर पालिका में पूर्णतया शामिल नहीं होने से काम नहीं हो रहे है। वहीं देवली में होने के बावजूद उन्हें जहाजपुर व भीलवाड़ा पर निर्भर रहना पड़ता है।
यदि नगर पालिका पैराफैरी अधीन कॉलोनियों को देवली में शामिल किया जाए तो, उक्त क्षेत्र का भी विकास होगा। इनमें कुंचलवाड़ा रोड, शिव कॉलोनी, जैन कॉलोनी, कोटा रोड, ज्योति कॉलोनी, कुंचलवाड़ा, ऊंचा, सैनिक कॉलोनी, अजमेर-कोटा बायपास, मायला पोल्या आदि शामिल है। यहां के लोग जहाजपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदान करते हंै।
सरकारी काम के लिए परेशानी
इन क्षेत्र के लोगों को सरकारी चिकित्सा सहित सुविधाएं तो देवली से मिल जाती है। लेकिन उन्हें सरकारी कामकाज के लिए जहाजपुर जाना पड़ता है। क्षेत्रवासियों ने बताया कि उन्हें बिजली बिल जमा कराने, गैस सिलेण्डर लेने, राशन कार्ड, आधार कार्ड, जमीन की रजिस्ट्री करवाने सहित कामों के लिए आए दिन जहाजपुर जाना पड़ता है। वहीं कार्यालयों में अधिकारी नहीं होने पर उन्हें कई बार बैरंग लौटना पड़ता है। यदि यह काम देवली में हो जाए तो उनकी तकलीफे कम होगी।
ये है कॉलोनियां व गांवनगर पालिका के पैराफैरी अधीन व भीलवाड़ा जिले में करीब एक दर्जन से अधिक कॉलोनियां व गांव शामिल है। इनमें कुंचलवाड़ा रोड, शिव कॉलोनी, जैन कॉलोनी, कोटा रोड, ज्योति कॉलोनी, कुंचलवाड़ा, ऊंचा, सैनिक कॉलोनी, अजमेर-कोटा बायपास, मायला पोल्या आदि शामिल है।
इन क्षेत्र के लोगों का जीवन देवली शहर पर निर्भर है। यहां के अधिकतर लोग आजीविका के लिए प्रतिदिन देवली आते है अथवा यंू कहे कि देवली शहर से इनका गुजर बसर हो रहा है। जिला भीलवाड़ा होने की वजह से उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पाई है।
सडक़ है न रोड लाइटभीलवाड़ा जिले के अन्तिम छोर पर होने के चलते उक्त क्षेत्र से हमेशा से उपेक्षित रहा है। जहां आज भी यहां सडक़ व रोड लाइट की व्यवस्था नहीं है। कहने को तो हनुमाननगर क्षेत्र देवली नगर पालिका के पैराफैरी अधीन आता है। जहां के प्लॉटों का भू-उपयोग परिवर्तन आदि नगर पालिका करती है, जिसकी एवज में लोगों को विकास शुल्क देवली नगर पालिका में जमा कराना पड़ता है, लेकिन विकास की बात आने पर नगर पालिका अपना क्षेत्र नहीं होने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ लेती है।
हनुमाननगर की कुछ कॉलोनियो को छोडकऱ शेष सभी क्षेत्रों में आज भी पक्की सडक़े नहीं है। वहीं रोड लाइट तो लोगों के लिए सपना बनी है। हांलाकि इनमें कुंचलवाड़ा रोड, कोटा रोड सहित मुख्य मार्गो पर पंचायतों ने रोड लाइन लगा रखी है, लेकिन कॉलोनियों में आज भी रात के वक्त अंधेरा ही रहता है।