एनिकट निर्माण से होने वाले एकत्रित जल से खेती के लिए ङ्क्षसचाई, पशुधन के लिए पेयजल, कुओं, नलकूप एवं हैंडपंप का जल स्तर बढऩे से आस-पास के लोगों को फायदा मिलता है। खेती का रकबा बढऩे से भी किसानों को आर्थिक लाभ मिलने से क्षेत्र में समृद्धि आती है।
इसी को देखते हुए जल संसाधन विभाग द्वारा टोंक जिले की तहसील पीपलू के ग्राम नाथडी में माशी नदी पर पूर्व में निर्मित जीर्णशीर्ण एनिकट का निर्माण कराया। एनिकट के डाउन स्ट्रीम में सी पेज की समस्या थी। इसके कारण एनिकट की क्षमता में कमी आ रही थी। आम जनता को एनिकट निर्माण के उद्देश्यों का लाभ नहीं मिल पा रहा था।
जनप्रतिनिधियों की मांग पर गत वर्ष इस एनिकट का जीर्णोद्धार कार्य कराया गया। इस एनिकट के रिपेयर एण्ड रेस्टोरेशन कार्य को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा 2019-20 में शामिल किया था। इस पर 73.24 लाख की राशि का व्यय हुआ है।
इसी तरह टोंक जिले में तहसील उनियारा में गलवा नाला प्रवाहित होता है।
इस नाले में वर्षाकाल के दौरान आस-पास के इलाकों से अच्छी मात्रा में पानी एकत्रित होकर बहते हुए विभाग द्वारा निर्मित सुरेली एनिकट के डाउन स्ट्रीम में बनास नदी में मिल जाता है। इससे बनास नदी में आगे कोई संरचना नहीं होने के कारण यह जल बनास नदी में प्रवाहित होकर व्यर्थ चला जाता था। विभाग द्वारा इस व्यर्थ बहते हुए जल का उपयोग करने के उद्देश्य से तहसील उनियारा में कुण्डेर गांव के पास गलवा नाला पर एनिकट निर्माण का प्रस्ताव तैयार कराया गया। इस पर 66.01 लाख रुपए का व्यय हुआ।
जल उपल्ब्ध हो रहा है गत वर्ष बरसात के बाद इस कार्य के होने से प्रत्येक एनिकट में वास्तविक क्षमता अनुसार 8.83 एमसी फीट पानी को स्टोर किया जा सका। इससे पशु पेयजल एवं आस-पास के किसानों को एनिकट से पानी लिफ्ट करके ङ्क्षसचाई के लिए जल उपलब्ध हो सका।
साथ ही कुएं, नलकूप एवं हैण्डपम्प आदि रिचार्ज हुए तथा भूमि के जल स्तर में भी वृद्धि हुई। मासी नदी पर बने एनिकट से आस-पास के लगभग 5 गांव पीपलू, सिसोला, मवाशीपुरा, मशोदपुरा एवं नाथडी के लगभग 300 किसान एवं कुण्डेर एनिकट निर्माण से लगभग 125 हैक्टेयर भूमि ङ्क्षसचित हो रही हैै। इस एनिकट निर्माण से भी 5 गांव कुण्डेर, सेदरी, रजमाना, पोण्डवाडा व केरोद के लगभग 500 कृषक लाभान्वित हुए हैं।