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श्रद्धालु हो गए भाव विभोर

सांखना में चल रही है भागवत कथाटोंक. सांखना गांव में चल रही भागवत कथा में गुरुवार को कई प्रसंगों का वर्णन हुआ। दोपहर बाद श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया गया तो कस्बे समेत आसपास के गांवों से आए श्रद्धालु भाव विभोर होकर नाचने लगे।

टोंकAug 05, 2021 / 09:27 pm

jalaluddin khan

श्रद्धालु हो गए भाव विभोर

श्रद्धालु हो गए भाव विभोर

श्रद्धालु हो गए भाव विभोर
सांखना में चल रही है भागवत कथा
टोंक. सांखना गांव में चल रही भागवत कथा में गुरुवार को कई प्रसंगों का वर्णन हुआ। दोपहर बाद श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया गया तो कस्बे समेत आसपास के गांवों से आए श्रद्धालु भाव विभोर होकर नाचने लगे।
कथा की शुरुआत आयोजक एवं पूर्व सरपंच शिवनंदन चौधरी सांखना की ओर से भागवत कथा का पूजन करने के साथ हुई। इसके बाद कथावाचन हुआ। इस मौके पर कथवाचक पंडित नाथूलाल शर्मा ने वामन अवतार, श्री राम सीता विवाह समेत कृष्ण जन्मोत्सव आदि के प्रसंग सुनाए।

उन्होंने कहा कि जब जब संसार में पाप बढऩे लगता है तब तब भगवान अवतार लेते हैं। उन्होंने कहा कि भागवत कथा श्रवण से मनुष्य भवसागर पार हो जाता है। शाम को प्रसादी वितरण हुआ। इस मौके पर आसपास के कई गांवों से आए श्रद्धालु मौजूद रहे।
सहस्त्रघट का हुआ आयोजन
टोंक. मालपुरा उपखण्ड के सोडा गांव स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में गुरुवार को सहस्त्रघट का आयोजन किया गया।

आयोजनकर्ता रामकिशोर जोशी व हनुमान प्रसाद जोशी की ओर से सुबह 9 बजे माला जाप, दोपहर 2 बजे 4 बजे मंत्र जाप और जलाभिषेक किया। शाम 5 बजे झांकी सजाकर आरती की गई।

अंहिसा पर चलने से ही जीवन का कल्याण:-विज्ञमति
मालपुरा. श्रीपाŸवनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में विशुद्धमति के सान्निध्य में चल रहे गणधर वलय स्त्रोत सेमिनार में छठे दिन गुरुवार को शिविरार्थियों की धर्मसभा को संबोधित करते हुए विज्ञमति ने कहा कि मनुष्य को संसार में भगवान महावीर के बताए गए सिद्धान्तों का पालन करना चाहिए।
अहिंसा पर चलकर ही मनुष्य अपने जीवन का कल्याण कर सकता है।विज्ञमति ने कहा कि इंसान को अपने जीवन में अहिंसा का महत्व समझना चाहिए। हिंसा अराजकता फैलाती है।


अहिंसा जीवों में दया का भाव सिखाती है अहिंसा से इंसान को मानसिक व शारीरिक शंाति मिलती है। अहिंसा बचेगी तो धरती पर जीवन का अस्तित्व बचेगा इसके बिना मानव संस्कृति व सभ्यता को बचाना संभव नहीं है। हिंसा विनाश है और अहिंसा विकास है प्रगती के नए शिखर को छूने के लिए मनुष्य को अपने जीवन में अहिंसा का पालन करना होगा।
विज्ञमति ने कहा कि गांधी ने अहिंसा के पथ पर चलकर देश को आजादी दिलवाई। उनके सत्य व अहिंसा के मार्ग को आज भी लोग मानते हैं। शिविर के दौरान शिविरार्थियों को विज्ञमति द्वारा सेमिनार में प्रतिदिन गणधर वलय स्त्रोत के प्रतिक्रमण के श्लोकों में भक्तों की अतिविनम्रता युक्त भक्ति प्रभु की समिपता के बारे में जानकारी दी जाकर उनका अध्ययन कराया गया। रात्रि में प्रश्नोतरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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