लिधौरा तहसीलदार की जागरूकता से फर्जी चालान बनाने का मामला सामने आया है। तहसीलदार अजय झां ने बताया कि गुरुवार को उनके पास सीमांकन के दो मामले आए थे। इसमें किसान द्वारा 50 और 100 रुपए के चालान लगाए गए थे। उन्होंने बताया कि ज्यादा काम न होने पर उनके मन में आया तो उन्होंने चालान के क्यूआर कोड को अपने मोबाइल से स्केन किया। इसमें ऑनलाइन यह चालान 10 रुपए का ही दिख रहा था। इस पर उन्होंने 100 रुपए के चालान को स्केन किया तो वह भी 10 रुपए का था। उनका कहना था कि हकीकत में तो यह चालान 10 रुपए का था, लेकिन कियोस्क संचालक द्वारा इसकी ङ्क्षप्रट स्लिप पर उसे 50 और 100 रुपए का कर दिया गया था।
विगत दिवस एमपी ऑनलाइन के जिला समन्वयक हरिकांत गोस्वामी ने एजीएम लिधौरा आशीष ङ्क्षसह ठाकुर एवं राजस्व निरीक्षक रमजान खान के साथ मां वैष्णो कियोस्क सेंटर की जांच की। हरिकांत गोस्वामी ने बताया कि यहां पर एक माह में काटे गए 13 चालान में 10 में गड़बड़ी पाई है।
कियोस्क संचालक शैलेंद्र सिंह सेंगर द्वारा यहां पर हितग्राहियों से तो पूरे रुपए लिए गए थे, जबकि शासन को कम रुपए के चालान जमा किए गए थे। वहीं इनके द्वारा दी गई ऑनलाइन रसीद में छेड़छाड़ करते हुए ज्यादा राशि के चालान बताए गए थे। ऐसे में शासन को राजस्व की हानि हुई है। साथ ही इनके द्वारा एमपी ऑनलाइन के कियोस्क का बोर्ड एवं प्रमाण-पत्र भी नहीं लगाया गया था।
हरिकांत गोस्वामी ने बताया कि अनियमितताएं पाने जाने पर इनका कियोस्क सेंटर बंद करने के लिए वरिष्ठ कार्यालय को मेल कर दिया है। इसके साथ ही इनके पूरे कामों की जांच की जा रही है। ऐसे में सेंटर को सील करने के साथ ही इनके खाते भी सील किए गए है।
तहसीलदार ने पकड़ा था मामला
विदित हो कि यह गड़बड़ी लिधौरा तहसीलदार अजय झा ने पकड़ी थी। गुरुवार को उनके पास पहुंचे सीमांकन के दो आवेदनों पर कियोस्क सेंटर द्वारा काटे गए 50 और 100 रुपए के चालान की ऑनलाइन रसीद लगाई थी। इस पर बने क्यूआर कोड को तहसीलदार झा ने स्केन किया तो यह कम राशि के चालान मिले। कियोस्क संचालक द्वारा शासन के खातों में ऑनलाइन 10-10 रुपए की राशि जमा की गई थी, जबकि रसीद 50 और 100 रुपए की दी गई थी।
यह पाया गया अंतर
एक माह में कियोस्क संचालक द्वारा काटे गए 10 फर्जी चालान में 850 रुपए की हेरफेर की गई है। संचालक द्वारा हितग्राहियों से तो चालान के पूरे रुपए लिए गए थे, लेकिन शासन के खाते में मात्र 100 रुपए ही डाले गए थे, जबकि शासन के खाते में 950 रुपए जमा किए जाने थे। अधिकारियों का कहना था कि यह फर्जीवाड़ा कब से चल रहा था अब इसकी पूरी जांच की जाएगी। साथ ही अन्य कियोस्क संचालकों को भी पत्र जारी कर इस प्रकार की लापरवाही न करने के निर्देश दिए गए है।