मामा-भांजी के साथ ऐसा दरअसल डेस्ट्रोकार्डिया की समस्या के चलते हुआ है। ये लाखों लोगों में किसी एक को होती है। यह महज इत्तेफाक है कि एक ही परिवार में दो लोग इस तरह की समस्या के शिकार हैं। इस अनोखी समस्या के बीच जी रहे सिंधी धर्मशाला के समीप रहने वाले कमल गुरनानी अब 45 साल के हो गए हैं।
पिता—बहन की मौत के बाद भी जिंदगी की जंग लड़ती रही तीन साल की मासूम वे बताते हैं कि पहले सोचकर ही बहुत असामान्य लगता था पर अब सबकुछ आदत में शामिल हो चुका है। उन्होंने बताया कि इस समस्या के बारे में उनके परिवार को उस समय पता चला जब उनकी उम्र महज 3 साल थी। लगातार बीमार रहने के चलते परिजन डॉक्टर के पास ले गए तो वे स्टेथोस्कोप लगाकर बार-बार जांच करते रहे पर दिल की धड़कन समझ में नहीं आने पर परेशान हो गए।
पूरे शरीर की जांच करने पर उन्हें पता चला कि दिल दाएं तरफ है। उन्होंने परिवार को इस समस्या के बारे में बताया और साथ ही समझाइश भी दी जिससे परिवार सहज हो सका। तभी डॉक्टर ने बताया था कि मेडिकल साइंस की भाषा में इसे डेस्ट्रोकार्डिया बीमारी कहा जाता है।
पेट में बच्चे को लेकर 12 किमी पैदल चली गर्भवती, रोड किनारे दिया जन्म कमल बताते है कि उनके जीजाजी जयपुर में डॉक्टर है। तीन साल पहले वहां गए तो सांस की समस्या हुई। जीजाजी अस्पताल ले गए और जांच कराई। उसी दौरान उनका सीटी स्केन कराया गया तो डॉक्टर उसे देखकर अचरज में पड़ गए। पूरी बात पूछने के बाद उन्होंने अपने जूनियर डॉक्टरों को बुलाकर उन्हें दिखाया और समस्या के बारे में भी समझाया। डॉक्टर ने तब बताया था कि यह रेयर केस है। बाकी डॉक्टरों ने भी उनकी गहन पड़ताल की।
सर्दी-जुकाम की बनी रहती है समस्या
कमल के भाई सोनू गुरनानी ने बताया कि यह बीमारी लाखों में किसी एक को होती है। लेकिन हमारे यहां यह संयोग ही है कि जयपुर में रहने वाली हमारी भांजी सोनिया के भी दांई ओर दिल है। ऐसे में इन दोनों को हमेशा ही सर्दी, जुकाम की शिकायत बनी रहती है। मौसम बदलने पर इसका ज्यादा ध्यान रखना होता है। वह बताते है कि इसके अलावा किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। यह जरूर है कि जब भी किसी नए डॉक्टर को दिखाने जाते है तो उसे बताना पड़ता है कि स्टोथोस्कोप बाएं नहीं दाएं ओर लगाएं।
रेयर केस है
यह एक प्रकार से असामान्य चीज है। इसे मेडिकल की भाषा में डेस्ट्रोकार्डिया कहा जाता है। इसमें बाएं की जगह दाएं ओर हार्ट होता है। कुछ चीजों की सावधानी रखने से कभी भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। ऐसे मामले बहुत ही रेयर होते है।
– डॉ सौरभ जैन, मेडीकल ऑफिसर, जिला अस्पताल।