मनरेगा योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत के प्रत्येक मजदूर को साल में १०० दिन का रोजगार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत गांव में उपलब्ध कराए जाने की सरकार के दावों की जमीनी हकीकत की पोल खुल रही है। बीते एक साल से हालात यह है कि ग्राम पंचायतों में मजदूरों को रोजगार ही नहीं मिल रहा। मजदूर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, सोनीपत, पानीपत, आगरा जैसे महानगरों में अपने छोटे-छोटे मासूम बच्चों के साथ जीवन यापन करने के लिए मजदूरी कर रहे हैं। सरपंच भी ग्राम पंचायतों में रोजगार के अभाव में हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं।
मजदूरों को रोजगार देने के लिए जनपद पंचायत जतारा एवं पलेरा की ग्राम पंचायतों में सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो जनपद पंचायत जतारा व पलेरा 165 ग्राम पंचायतों में 58 हजार पांच सौ के लगभग सक्रिय जॉब कार्ड बने हुए हैं। इनमें जनपद पंचायत जतारा की 93 ग्राम पंचायतों में 35 हजार 926 तथा जनपद पंचायत पलेरा की 72 ग्राम पंचायतों में 22 हजार 526 जाब कार्ड सक्रिय हैं। दोनों ग्राम पंचायतों में क्रमश: 3443 तथा 4623 मजदूरों को ही रोजगार मिल रहा है।
अगर पंजीकृत मजदूरों को उनकी पंचायत में रोजगार नहीं मिल रहा तो वह अपने आसपास की ग्राम पंचायतों में 5 किलोमीटर की दूरी की पंचायतों में चलने वाले सरकारी निर्माण कार्यों में मजदूरी कर सकते हैं। अगर वहां पर भी उन्हें काम नहीं मिल रहा है तो ऐसे हालातों में मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने की स्थिति तक होने बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का भी प्रावधान है। लेकिन जनपद पंचायत जतारा और पलेरा की किसी भी ग्राम पंचायत में बेरोजगारी भत्ता के नाम पर मजदूरों को फूटी कौड़ी तक नहीं दी गई।
ग्राम पंचायत स्तर पर निर्माण कार्यों में मजदूरों को सरकारी दरों पर आज भी 200 रुपए प्रति मजदूर को उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है जबकि महंगाई के इस दौर में आम तौर पर कोई मजदूर सरकारी निर्माण कार्य छोडक़र किसी अन्य व्यक्ति के यहां या बाहर मजदूरी करता है तो उसे 350 से 400 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी मिल जाती है।
जनपद पंचायत जतारा की 93 ग्राम पंचायतों में वर्तमान हालात मे 35926 मजदूरों के जॉब कार्ड है लेकिन ग्राम पंचायतों में 4623 मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। बजट के अभाव में ग्राम पंचायतों में नवीन निर्माण कार्य स्वीकृत नहीं हो रहे हैं।
राजेश मिश्रा , अतिरिक्त कायक्रम अधिकारी जतारा।