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टीकमगढ़

रोजगार की तलाश में मजदूर गए परदेस, घरों पर लगे ताले

जतारा ग्रामीण अंचलों में पंचायत स्तर पर निर्माण कार्य शुरू नहीं होने से हजारों की संख्या में मजदूर अपने परिवार के साथ रोजी-रोटी की तलाश में महानगरों की ओर जाने को मजबूर हैं। इन मजदूरों के घरों में ताले लगे हैं। कुछ ही परिवार हैं जिनके बुजुर्ग अपने गांव में घर की देखभाल कर रहे हैं।

टीकमगढ़May 20, 2023 / 08:12 pm

akhilesh lodhi

MNREGA scheme became a joke

MNREGA scheme became a joke


टीकमगढ़. जतारा ग्रामीण अंचलों में पंचायत स्तर पर निर्माण कार्य शुरू नहीं होने से हजारों की संख्या में मजदूर अपने परिवार के साथ रोजी-रोटी की तलाश में महानगरों की ओर जाने को मजबूर हैं। इन मजदूरों के घरों में ताले लगे हैं। कुछ ही परिवार हैं जिनके बुजुर्ग अपने गांव में घर की देखभाल कर रहे हैं। जतारा विधानसभा क्षेत्र की जनपद पंचायत पलेरा, जतारा की कुछ ग्राम पंचायतों में पहुंच कर पत्रिका टीम ने जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया, जहां पर मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने की वजह से अपने घरों में ताले लगाकर बड़े शहर अथवा अन्य प्रदेश चले गए।
जनपद पंचायत पलेरा की खरगूपुरा ग्राम पंचायत में एक दर्जन से अधिक आदिवासी परिवार पलायन कर गए। ग्रामीणों ने बताया कि रोशन आदिवासी, महेंद्र रामस्वरूप, रामप्रसाद, हनुमत, आदिवासी रोजगार के अभाव में अपने बच्चों के साथ घर पर ताला लगा कर महीनों से दिल्ली में मजदूरी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि दो सप्ताह पूर्व कुछ मजदूर अपने परिवार के साथ लाडली बहना योजना का फार्म फरवाने पहुंचे थे। फार्म भरने के बाद कुछ दिन रोजगार के इंतजार में रुके लेकिन रोजगार नहीं मिलने पर फिर दिल्ली चले गए। इसके बाद पत्रिका टीम ने ग्राम पंचायत कंजना, मडोरी, सिमरा खुर्द, बराना थर, रतवास, इटली, पहाड़ी बुजुर्ग, टीला नरेनी, कनेरा, जतारा विकासखंड की माची, किटाखेरा, हदयनगर, चंद्रपुरा, सगरवारा, शाहपुरा, सतगुवा, ईशोन, मातौल, खरोई, मरगुवा, जरुवा, करमोरा सहित जनपद पंचायत के ज्यादातर ग्राम पंचायत में रोजगार का अभाव बना हुआ है।
जाब कार्ड है पर मजदूरों को नहीं मिल रहा रोजगार
मनरेगा योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत के प्रत्येक मजदूर को साल में १०० दिन का रोजगार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत गांव में उपलब्ध कराए जाने की सरकार के दावों की जमीनी हकीकत की पोल खुल रही है। बीते एक साल से हालात यह है कि ग्राम पंचायतों में मजदूरों को रोजगार ही नहीं मिल रहा। मजदूर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, सोनीपत, पानीपत, आगरा जैसे महानगरों में अपने छोटे-छोटे मासूम बच्चों के साथ जीवन यापन करने के लिए मजदूरी कर रहे हैं। सरपंच भी ग्राम पंचायतों में रोजगार के अभाव में हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं।
58 हजार जॉब कार्ड सक्रिय, महज 8 हजार को रोजगार
मजदूरों को रोजगार देने के लिए जनपद पंचायत जतारा एवं पलेरा की ग्राम पंचायतों में सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो जनपद पंचायत जतारा व पलेरा 165 ग्राम पंचायतों में 58 हजार पांच सौ के लगभग सक्रिय जॉब कार्ड बने हुए हैं। इनमें जनपद पंचायत जतारा की 93 ग्राम पंचायतों में 35 हजार 926 तथा जनपद पंचायत पलेरा की 72 ग्राम पंचायतों में 22 हजार 526 जाब कार्ड सक्रिय हैं। दोनों ग्राम पंचायतों में क्रमश: 3443 तथा 4623 मजदूरों को ही रोजगार मिल रहा है।
बेरोजगारी भत्ता देने का भी है प्रावधान
अगर पंजीकृत मजदूरों को उनकी पंचायत में रोजगार नहीं मिल रहा तो वह अपने आसपास की ग्राम पंचायतों में 5 किलोमीटर की दूरी की पंचायतों में चलने वाले सरकारी निर्माण कार्यों में मजदूरी कर सकते हैं। अगर वहां पर भी उन्हें काम नहीं मिल रहा है तो ऐसे हालातों में मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने की स्थिति तक होने बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का भी प्रावधान है। लेकिन जनपद पंचायत जतारा और पलेरा की किसी भी ग्राम पंचायत में बेरोजगारी भत्ता के नाम पर मजदूरों को फूटी कौड़ी तक नहीं दी गई।
मजदूरों के पलायन का एक यह भी है कारण
ग्राम पंचायत स्तर पर निर्माण कार्यों में मजदूरों को सरकारी दरों पर आज भी 200 रुपए प्रति मजदूर को उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है जबकि महंगाई के इस दौर में आम तौर पर कोई मजदूर सरकारी निर्माण कार्य छोडक़र किसी अन्य व्यक्ति के यहां या बाहर मजदूरी करता है तो उसे 350 से 400 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी मिल जाती है।
इनका कहना
जनपद पंचायत जतारा की 93 ग्राम पंचायतों में वर्तमान हालात मे 35926 मजदूरों के जॉब कार्ड है लेकिन ग्राम पंचायतों में 4623 मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। बजट के अभाव में ग्राम पंचायतों में नवीन निर्माण कार्य स्वीकृत नहीं हो रहे हैं।
राजेश मिश्रा , अतिरिक्त कायक्रम अधिकारी जतारा।
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