टीकमगढ़ निवासी दीपक कुशवाहा ने बताया कि छत से गिरने से पैर में फैक्चर आ गया है। हड्डी वाले डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने एक्सरा कराने के निर्देश दिए। एक्सरा करवा और रिपोर्ट लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे तो वह २ बजे के पहले कुर्सी से उठ गए। इसके साथ ही राकेश यादव ने बताया कि पर्चे पर जांच लिख दी, लेकिन अब डॉक्टर की तलाश कर रहे है। अब उनके निवास पर मरीजों की लंबी लाइन लगी है, जहां पर मरीजों को सलाह दी जा रही है।
बारिश के समय दूषित पेयजल के कारण फैलने वाली बीमारियों ने पैर पसार लिए है। शहर और गांव में उल्टी, दस्त और बुखार के हजारों व्यक्ति और बच्चे शिकार हो रहे है। इसके साथ ही टायफाइड के मामले भी बढऩे लगे है। अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढऩे से संसाधन कम पडऩे लगे है। ५०० से ८०० आने वाली ओपीडी की संख्या डेढ़ और दो हजार तक पहुंचने लगे है। कोई भी वार्ड ऐसा नहीं है, जहां मरीज भर्ती न हो। लेकिन अस्पताल में डॉक्टर और सुविधाओं की स्थिति उलट है।
ट्रांमा सेंटर में दो आईसीयू वार्ड बने है। एक वार्ड का प्रशासन खुला था और ऑपरेशन थियेटर के सामने वाले आईसीयू के प्रशाधन में ताला लगा था। इसके साथ ही मेटरनिटी वार्ड के ऊपरी मंजिल की नए भवन में बनाए गए तीन से अधिक प्रशाधनों में ताला लगा था। जिसके लिए आमजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
डॉॅक्टरों का अस्पताल में बैठने का समय
सुबह ९ बजे से दोपहर २ बजे तक
शाम ५ बजे से शाम ६ बजे तक तारीख मरीजों की संख्या
८ अगस्त- १३५७
९ अगस्त- १६९८
१० अगस्त- १५८५
११ अगस्त- ४३०
१२ अस्तत- १७५५ के करीब
अस्पताल के प्रशाधन को मरीजों की सुविधाओं के लिए बनवाए गए है और मरीजों को उपचार करना डॉक्टरों का पहला कतव्र्य है। पूरे समय तक डॉक्टरों को अस्पताल में बैठना चाहिए। प्रशाधनों का ताला खुलवाने और डॉक्टरों को समय तक बैठने के निर्देश दिए जाएंगे।
डॉ शोभाराम रोशन सीएमएचओ टीकमगढ़।