हमारे देश भर में शनि देव के बहुत से प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिर मौजूद है। इन मंदिरों के प्रति लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। श्रद्धा और आस्था के चलते ही इन मंदिरों में लोग शनिदेव की पूजा-अर्चना और दर्शन करते हैं। आज हम आपको शनिदेव के ऐसे चमत्कारिक और प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जिसके बारे में बताया जाता है कि इस जगह पर शनिदेव स्वयं प्रकट हुए थे। इतना ही नहीं बल्कि शनिदेव के इन मंदिरों के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इनके दर्शन मात्र से ही शनि प्रकोप दूर हो जाते हैं।
ऐसा ही एक मंदिर है शनिश्चरा मंदिर जो मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में स्थित है। शनिश्चरा मंदिर के दर्शनों के लिए ग्वालियर से बस और टैक्सी के माध्यम से जाया जा सकता है। देश के बहुत से शहरों से ग्वालियर के लिए सीधी हवाई सेवा भी उपलब्ध है।
माना जाता है कि यहां स्थापित शनि पिण्ड हनुमान जी ने लंका से फेंका था, जो यहां आकर स्थापित हो गया। यहां पर अद्भुत परंपरा के चलते शनि देव को तेल अर्पित करने के बाद उनसे गले मिलने की प्रथा है। यहां आने वाले भक्त बड़े प्रेम और उत्साह से शनि देव से गले मिलते हैं और अपने सभी दुख-दर्द उनसे सांझा करते हैं।
दशर्नों के बाद अपने घर को जाने से पूर्व भक्त अपने पहने हुए कपड़े, चप्पल, जूते आदि को मंदिर में ही छोड़ कर जाते हैं। भक्तों का मानना है की उनके ऐसा करने से पाप और दरिद्रता से छुटकारा मिलता है।
लोगों की आस्था है कि मंदिर में शनि शक्तियों का वास है। इस अद्भुत परंपरा के चलते शनि अपने भक्तों के ऊपर आने वाले सभी संकटों को गले लगा ले लेते हैं। इस चमत्कारिक शनि पिण्ड की उपासना करने से शीघ्र ही मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
यहां टीले से निकले शनिदेव…
वहीं एक दूसरा प्राचीन वह चमत्कारिक शनि मंदिर मध्य प्रदेश के इंदौर में भी स्थित हैं हैं। यह मंदिर जुनी इंदौर में बना हुआ है, इसके बारे में एक कथा भी बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के स्थान पर करीब 300 वर्ष पहले 20 फीट ऊंचा टीला हुआ करता था और यहां पर मंदिर के पुजारी के पूर्वज आकर ठहरे हुए थे।
एक रात पंडित के सपने में शनि देव ने दर्शन देकर उनको यह कहा था कि टीले के अंदर उनकी एक प्रतिमा दबी हुई है और इस प्रतिमा को खोदने का आदेश शनिदेव ने पंडित को दिया था। आपको बता दें कि पंडित दृष्टिहीन था, जिसकी वजह से यह काम नहीं कर सकता था। तब शनिदेव ने पंडित से कहा था कि अब तुम अपनी आंखे खोलो, तुम सब कुछ देख सकते हो।
जब पंडित ने अपनी आंखें खोली तो उसको सब कुछ दिखाई देने लगा, इसके बाद पंडित ने टीले को खोदना आरंभ किया। जब गांव वालों को इस चमत्कार के बारे में पता चला तो वह भी पंडित की सहायता करने लगे। खुदाई के दौरान वहां से शनि देव की एक प्रतिमा निकली थी जिसको निकाल कर स्थापना की गई थी। आज भी इस मंदिर में वही मूर्ति स्थापित है।
एक अन्य कथा के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि शनिदेव की प्रतिमा पहले भगवान श्री राम जी की प्रतिमा के स्थान पर थी, लेकिन एक शनिचरी अमावस्या पर इस प्रतिमा ने अपना स्थान खुद बदल लिया।
शनि देव के इस प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर के अंदर भक्त दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। शनि जयंती पर इस मंदिर में उत्सव मनाया जाता है। लोग यहां पर शनिदेव की पूजा-अर्चना करके अपने जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।