संकट मोचन मंदिर की कहानी और महत्वपूर्ण तथ्य
गोस्वामी तुलसीदास जी और हनुमान जी को लेकर कई रोचक किस्से लोगों में प्रचलित है। इसी में से एक मान्यता है कि माता सीता ने हनुमान जी की रामभक्ति देखकर उन्हें कलियुग के अंत तक यहां रहकर श्रीराम भक्तों की मदद करने का आदेश दिया था। यह भी मान्यता है कि भारत भूमि पर जब मुगल अकबर का शासन था, तब तुलसीदास जी पर भी भीषण अत्याचार किए थे। इस दौरान हनुमान जी तुलसीदास जी की मदद करने कई बार पहुंचे थे। बाद में तुलसीदास जी ने हनुमान जी को समर्पित संकटमोचन मंदिर वाराणसी बनवाया। आइये जानते हैं संकट मोचन हनुमान मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य … ये भी पढ़ेंः Holi 2024: त्योहार से पहले यहां चिता की भस्म से खेली जाती है अनोखी होली
ऐसे हुई हनुमानजी से मुलाकात
मान्यता के अनुसार इसी जगह पर जब गोस्वामी तुलसीदास रामचरितमानस की रचना कर रहे थे और अस्सी घाट पर इसके अध्याय पढ़कर सुनाया करते थे। साथ ही राम भजन करते थे। उनकी कथा सुनने एक वृद्ध कुष्ठ रोगी प्रतिदिन सबसे पहले आता और अंत में जाता। वह सभी भक्तों के पीछे अंत में बैठा करता था। साथ ही तुलसीदास जी रोज सुबह पीपल के वृक्ष को पानी दिया करते थे। एक दिन उस पीपल के वृक्ष पर बैठे पिशाच ने उनसे पूछा कि क्या वे श्रीराम से मिलना चाहते हैं?इस पर तुलसीदास जी ने पूछा कैसे तब पिशाच ने उत्तर दिया कि हनुमान मिलवाएंगे। उसने यह भी बताया कि आपकी रामकथा सुनने जो वृद्ध कुष्ठ रोगी प्रतिदिन आता है, वही भक्त हनुमान हैं। यह सुनकर तुलसीदास अगली बार रामकथा सुनाने के बाद जब सभी लोग चले गए तब उस वृद्ध का पीछा करने लगे। हनुमान जी समझ गए कि तुलसीदास पीछा कर रहे हैं तो वे रूक गए और तुलसीदास जी उनके चरणों में गिर गए और असली रूप में आने की प्रार्थना की।
इस पर हनुमान जी ने अपने असली रूप में उन्हें दर्शन दिए। तब महर्षि तुलसीदास जी ने पहली बार हनुमान जी के ही सामने अपनी लिखी हनुमान चालीसा का पाठ करके सुनाया। इसके बाद श्रीराम से मिलने का मार्ग पूछा। फिर हनुमानजी ने उन्हें बताया कि श्रीराम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण चित्रकूट में उन्हें मिलेंगे। इसलिए वे उनसे मिलने चित्रकूट जाएं। इसके बाद हनुमान जी तुलसीदास जी के जीवन को एक नयी दिशा देकर वहां से चले गए थे। हनुमान जी जिस घाट पर तुलसीदास जी द्वारा रामचरितमानस का पाठ सुनने आया करते थे, वहीं पर तुलसीदास जी ने संकट मोचन मंदिर का निर्माण कराया।
संकट मोचन मंदिर के रोचक तथ्य
- वाराणसी का संकट मोचन हनुमान मंदिर साढ़े आठ एकड़ में फैला हुआ है। इसमें मुख्य मंदिर 2 एकड़ की भूमि पर है और बाकी की भूमि वन क्षेत्र है। इस वन में हनुमान जी के ही रूप माने जाने वाले बंदर घूमते रहते हैं।
- मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति इस तरह स्थापित की गई है कि उसका मुंह प्रभु भगवान श्रीराम की ओर रहे और वे उन्हीं को ही एक टक देखे जा रहे हैं। भगवान हनुमान की मूर्ति के सामने श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी की मूर्तियां स्थापित की गईं हैं।
- संकट मोचन हनुमान मंदिर में भगवान हनुमान को बेसन के लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इन लड्डुओं को मंदिर में ही विशेष सामग्री के साथ देसी घी में बनाकर तैयार किया जाता है, जिसे बांस के डिब्बे में पैक करके भक्तों को दिया जाता है।
- यहां आने वाले भक्त हनुमान जी को चमेली के तेल में मिला सिंदूर चढ़ाते हैं। इसके अलावा पीले रंग का चोला चढ़ाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी हर मनोकामना हनुमानजी पूरी करते हैं। यहां बंदरों को केले और अन्य फल खिलाने की भी परंपरा है।
- हर साल अप्रैल में संकट मोचन हनुमान मंदिर में संगीत समारोह आयोजित होता है। इसमें देश-विदेश से कई हनुमान मंडली, गायक, कलाकार अपनी प्रतिभा दिखाने आते हैं। इसके अलावा रामनवमी, हनुमान जयंती, दीपावली पर विशेष आयोजन होते हैं।
- संकट मोचन मंदिर सुबह 5 बजे खुल जाता है। इस समय सुबह की आरती होती है और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। मंदिर दोपहर के समय 12 से 3 बजे के बीच बंद रहता है। संध्या आरती रात 9 बजे होती है। इसके बाद मंदिर बंद हो जाता है। मौसम में परिवर्तन के अनुसार आरती के समय में भी थोड़ा परिवर्तन संभव है।
- सन 2006 में वाराणसी शहर में आंतकवादियों ने 3 विस्फोट किए थे। इसमें से एक विस्फोट इस मंदिर परिसर में भी हुआ था। इस विस्फोट में मंदिर में करीब 7 से 10 भक्तों की जान चली गई थी और 35 से 40 भक्त घायल हो गए थे। इसके बाद से मंदिर परिसर की सुरक्षा बढ़ा दिया गया है।
- 2014 में वाराणसी संसदीय सीट से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार इस सीट से सांसद चुने गए थे। वाराणसी आने वाले लोग काशी विश्वनाथ, काल भैरव के साथ संकट मोचन हनुमान के दर्शन जरूर करते हैं।