दरअसल यहां किसी अस्पताल से भी ज्यादा हड्डी रोग से पीड़ित लोगों की भीड़ लगती है। साथ ही ये भी बताया जाता है कि यहां से कोई भी हनुमान भक्त खाली हाथ नहीं लौटता, लेकिन आपको यह जानकार विशेषतौर पर आश्चर्य होगा कि यहां अधिकतर हड्डी रोग से ग्रस्त लोग आते है और खुशी-खुशी ठीक होकर जाते है।
मान्यता के अनुसार इस मंदिर में दर्शन जो कोई भी करता है उसकी टूटी हुई हड्डियां अपने आप जुड़ जाती हैं। वैसे तो इस मंदिर में रोज ही औषधि दी जाती है, परंतु मंगलवार और शनिवार की औषधि का प्रभाव विशेष होता है, ऐसे में सप्ताह के इन दो दिनों में यहां मरीजों की ज्यादा भीड़ आती है।
हनुमान जी का यह मंदिर हड्डी जोड़ने वाले हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही यहां पीड़ित व्यक्ति को आंख बंद करके राम-नाम का जाप करने की सलाह दी जाती हैं। पीड़ित व्यक्ति आंख बंद कर जब जाप करने में मग्न रहता है उसी समय वहां के साधू व संत अपने सहयोगियों के साथ सभी को कोई औषधि खिलाते हैं।
नि:शुल्क औषधि: निराश होकर आज तक कोई नहीं गया
बताया जाता है कि हनुमान जी के इस मंदिर से आज तक कोई भी व्यक्ति निराश होकर नहीं गया। खास बात ये है कि मंदिर में औषधि को नि:शुल्क दिया जाता है और वह हर व्यक्ति को बिना दाम लिए ही खिलाई जाती है। इसके बावजूद अधिकांश भक्त अपनी श्रद्धा से दान पेटी में कुछ न कुछ डाल ही जाते हैं। इसके अलावा मंदिर के बाहर दुकान में तेल भी मिलता है। मालिश के लिए मिलने वाला ये तेल यहां की दुकानों में बहुत ही सस्ती कीमत मिलता है।