यूं तो माता के दर्शन और पूजा-अर्चना करने यहां श्रद्धालुओं की 12 महीने आवाजाही रहती है, लेकिन नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या पहले से कई गुना हो जाती है।
इसका कारण ये है कि अपने आप में विशेष पहचान रखने वाले इस मंदिर की महिमा देश दुनिया में कई जगहों पर फैली हुई है, जिसके चलते विशेषकर नवरात्र के दौरान दूसरी जगहों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। वर्तमान में चल रहे नवरात्रों के दौरान भी यहां हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने हर रोज आ रहे हैं।
जब लोगों ने जंगल की टेकरी पर पहुंच पूजा अर्चना की तो माता पूरा साक्षात दर्शन देकर पूरी मूर्ति बाहर आ गई। जिसके बाद यहां समय के साथ मंदिर निर्माण हुआ, जो अब महिषासुर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
रक्षा करती है माता
पुजारी के अनुसार मां महिषासुर मर्दिनी माता तत्काल फल प्रदान कर जावर क्षेत्र की रक्षा करती है। यह एक सिद्ध मंदिर है और जो भी अपने मन में कोई इच्छा लिए लिए सच्ची श्रद्धा के साथ मां के दर्शन करने यहां आता, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
पुजारी ने बताया कि 65 वर्ष पूर्व जब देवी मां ने चोला बदला था, तब साधारण सी दिखने वाली मूर्ति 6 हाथों वाली महिषासुर राक्षस का वध किए हुए जैसी हो गई थी। तब से जावर में मां का मंदिर मां महिषासुर मर्दिनी के नाम से पहचाना जाने लगा।
यहां मौजूद है मंदिर
भोपाल-इंदौर हाईवे जावर जोड़ से यह मंदिर करीब चार किमी अंदर मौजूद है। अंदर और बाहर मंदिर का निर्माण अत्यंत आकर्षक है। जावर के लोगों का कहना है कि मां महिषासुर मर्दिनी उनकी हमेशा रक्षा करती हैं। वहीं कोई संकट आने पर उन्हें बचाती भी हैं।