पीपल के आठ पत्ते से बने गजानन-
मदनमहल किला रोड पर स्थित तक्षशिला इंजीनियरिंग कॉलेज में विराजे पीपल के पत्तों के गणेश भगवान लोगों के आकर्षण का केंद बन रहे हैं। इंजीनियर संजय वर्मा ने बताया कि आठ बड़े पीपल के पत्तों से प्रतिमा निर्मित की गई। इन्हें आकार देकर गत्ते के बने कार्टन पर चिपकाया गया है। वर्मा ने बताया कि प्रकृति, जलस्त्रोतों व वृक्षों के संरक्षण का संदेश जनता में पहुंचाने के लिए कॉलेज के स्टाफ ने नई सोच के साथ प्रतिमा बनाई। इसका विसर्जन नहीं किया जाएगा।
पूरे परिवार सहित विराजे, नहीं होंगे विसर्जित-
छोटी बजरिया में गजानन की पूरी वंशबेल एक ही प्रतिमा में उकेरी गई है। शरद ताम्रकार बताते हैं कि गणेश भगवान, उनके पिता भगवान शंकर, माता पार्वती व रिद्धि-सिद्धि के बारे में प्राय: लोगों को जानकारी है, लेकिन गणेश भगवान के अन्य वंशजों की लोगों को जानकारी नहीं है। यह जानकारी देने के लिए प्रतिमा निर्मित की गई। ताम्रकार का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से मूर्ति विसर्जित नहीं की जाएगी।
फूलों से सजाए गए लम्बोदर-
सदर की गली नम्बर 7 में विराजमान लम्बोदर की प्रतिमा अपनी अनूठी साजसज्जा के चलते बरबस लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। प्रतिमा की सजावट पूरी तरह प्राकृतिक फूलों से की गई है। मिट्टी से निर्मित प्रतिमा इको फेंडली है। फूलों की सजावट इसे प्रकृति से जोड़ रही है।
शेर पर सवार हैं पोलीपाथर के महाराजा-
पोलीपाथर के महाराजा शेर के वाहन पर सवार हैं। यह प्रतिमा बड़ी है, पूरी तरह मिट्टी से बनी है। नर्मदा युवा एकता गणेशोत्सव समिति के संयोजन में विराजमान प्रतिमा में गणेश जी पगड़ी लगाए हुए हैं। इस प्रतिमा में मुुम्बई के प्रसिद्ध लालबाग के महाराजा की झलक है।
दो हाथियों का आसन, आसानी से जाएंगे घुल-
नवीन गणेशोत्सव काली मंदिर सदर में स्थापित गणेश प्रतिमा दो हाथियों के आसन पर विराजमान हैं। इसे भी पूरी तरह खास तरह की मिट्टी से बनाया गया है। यह मिट्टी बड़ी आसानी से जल में घुल जाती है। लिहाजा इसके विसर्जन से पर्यावरण प्रदूषण की कोई आशंका नहीं है।