– साइंस के अलावा सभी संकाय शोध में पीछे:
प्राध्यापकों का कहना है की शोध में पीछे रहने का कारण शोध पर ध्यान नहीं देना ही है। पीएचडी के प्रवेश से लेकर शोध तक की प्रक्रिया सुचारू रूप से हो तो यह समस्या दूर हो सकती है। साइंस के अलावा अन्य जितने भी संकाय है उसमें रिसर्च करने वाले विद्यार्थी कम है। इस वजह से भी शोध में पीछे है।
– शोध की स्कॉलरशिप हासिल करने में भी पीछे:
शोध को वेग देने के लिए राज्य सरकार की ओर से पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को दो साल तक हर माह 15 हजार की स्कॉलरशिप दी जाती है। यह स्कॉलरशिप पाने के लिए विद्यार्थी को अपनी रिसर्च की रिपोर्ट राज्य सरकार समक्ष प्रस्तुत करनी होती है। राज्य सरकार को रिसर्च का विषय योग्य लगा तो ही स्कॉलरशिप दी जाती है। इस साल पूरे राज्य में से 930 विद्यार्थियों को पीएचडी स्कॉलरशिप के लिए चुना गया है। इसमें से वीएनएसजीयू के सिर्फ 105 विद्यार्थियों का ही इस स्कॉलरशिप के लिए चयन हुआ है। इनमें 73 छात्राएं और सिर्फ 32 ही छात्र हैं। पिछले साल तो इस स्कॉलरशिप के लिए वीएनएसजीयू से सिर्फ 20 ही विद्यार्थियों का चयन हुआ था। अब बताओ ऐसे में कैसे वीएनएसजीयू ‘ए’ के पास भी पोहंच पाए?