आरोपियों में से एक के कोविड पॉजिटिव होने से उसकी गिरफ्तारी टाली हुई है। जानकारी के अनुसार, कुछ दिनों पूर्व गांधीनगर आरटीओ कमिश्नर को एक गुप्त शिकायत मिली थी। जिसमें सूरत आरटीओ से बिना ड्राइविंग टेस्ट के दस ड्राइविंग लाइसेंस जारी होने के बारे में बताया गया था। इन लाइसेंस की जानकारी भी दी गई थी।
इस मामले की पड़ताल के लिए अहमदाबाद आरटीओ की एक टीम जांच के लिए सूरत आई थी। सूरत आरटीओ में सारथी पोर्टल की जांच करने पर उनमें लाइसेंस जारी होने से संबंधित डेटा तो मिला, लेकिन इन लाइसेंस के जारी होने से पूर्व लर्निंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन परीक्षा, पक्के लाइसेंस के लिए किए जाने वाले ड्राईविंग टेस्ट आदि का कोई डेटा नहीं मिला।
लाइसेंस अवैध तरीके से जारी होने का खुलासा होने पर सूरत आरटीओ अधिकारी हार्दिक पटेल ने इस संबंध में अडाजण थाने में लिखित शिकायत दी थी। चूंकि मामला साइबर क्राइम से जुड़ा था, इसलिए शिकायत साइबर क्राइम पुलिस को स्थानान्तरित कर दी गई।
इस मामले की पड़़ताल व टेक्निकल एनालिसिस के बाद साइबर पुलिस ने अवैध तरीके से सारथी पोर्टल में डेटा पुश कर लाइसेेंस बनाने के आरोप में अडाजण केनाल रोड नक्षत्र सोलिसेटर निवासी नीलेश मेवाड़ा, घोड़दौड़ रोड एलबी पार्क निवासी साहिल शहनवाज, सिटीलाइट समृद्धि बिल्डिंग निवासी इन्द्रसिंह डोडिया व पालनपुर गांव केनाल रोड राज एप्पल निवासी जश पंचाल को नामजद कर मामला दर्ज किया है।
वहीं जश, इन्द्रसिंह व साहिल को गिरफ्तार कर लिया गया है। नीलेश के कोविड पॉजिटिव होने के कारण उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। चारों ने किस तरह से लाइसेंस तैयार किए। इस बारे में उनसे पूछताछ की जा रही है।
एआरटीओ ने एजेन्टों से मिलकर किया खेल :
जांच कर रहे पुलिस निरीक्षक टीआर चौधरी ने बताया कि आरोपी नीलेश मेवाड़ा सूरत आरटीओ में एआरटीओ के पद पर कार्यरत है। जबकि अन्य आरोपी जश, इन्द्रसिंह व साहिल एजेन्ट हैं। इन्हीं के साथ मिलीभगत के चलते मेवाड़ा ने बिना ड्राइविंग टेस्ट के एजेन्टों द्वारा दिए गए आवेदनों का डेटा सारथी पोर्टल में फीड कर लाइसेंस जारी करवाए थे। इस काम के लिए मेवाड़ा को प्रति लाइसेंस कितने रुपए दिए गए, इस बारे में पूछताछ की जा रही है।
आठ हजार में बनाते थे बिना टेस्ट के लाइसेंस :
आरोपियों से प्राथमिक पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि वे बिना ड्राइविंग टेस्ट के लाइसेंस बना कर देने के लिए ग्राहकों से प्रति लाइसेंस आठ हजार रुपए लेते थे। इसके अलावा तत्काल शुल्क के लिए भी अतिरिक्त रुपए लेते थे।
अवैध तरीके से बनाए गए जो दस लाइसेंस मिले हैं, उनसे रुपए लेकर लाइसेंस बनाए गए थे। सूरत आरटीओ में इस तरह से और भी कई अवैध लाइसेंस बने होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
सूरत आरटीओ में टाउट राज :
सरकार भले ही तकनीक की मदद लेकर भ्रष्टाचार कम करने का दावा करती हो, लेकिन सूरत आरटीओ में लंबे समय से टाउट राज चलता है। ये टाउट आरटीओ के अधिकारियों के साथ सांठगांठ के चलते हर तकनीक का तोड़ निकाल लेते हैं।
फर्जी तरीके से लाइसेंस बनाना तो ठीक, वाहनों की टैक्स चोरी, चोरी के वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन के भी मामले सामने आ चुके हैं। जिनकी पीडि़तों द्वारा आलाधिकारियों को शिकायतें करने और कई चक्कर लगाने के बावजूद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती।
————–