SURAT KAPDA MANDI: कपड़ा उद्योग के सभी घटकों में इस दिवाली छाई खुशहाली
सूरत. अर्थतंत्र का एक बड़ा सिद्धांत अधिक मांग के समक्ष कम आपूर्ति है जो कि इस दीपावली सीजन में सूरत कपड़ा मंडी ने काफी करीब से व्यापारिक हालात में देखा, समझा और जाना है। सूरत के कपड़ा उद्योग का कोई भी घटक इस सिद्धांत से दीपावली सीजन में अछूता नहीं रहा नतीजन सूरत कपड़ा मंडी के हजारों-लाखों लोगों के चेहरों पर दीपावली की खुशियों की मुस्कान फैली हुई है। हालांकि आज जो मुस्कान कपड़ा व्यापारी समेत सभी घटकों से जुड़े व्यावसायियों के चेहरों पर दिख रही है वो दो महीने पहले कहीं उड़ी-बूझी सी भी थी। खैर कोरोना काल के बुरे दौर के बीच इस दिवाली खुशी के साथ देर आए दुरुस्त आए। मंगलवार से दीपावली पंच महापर्व धन त्रयोदशी के साथ प्रारम्भ हो रहा है और इस अवसर पर सूरत के कपड़ा उद्योग के प्रत्येक घटक में यह दिवाली खुशियों वाली किस तरह से बन रही है, इस मेगा स्टोरी में जानेंगे।
यार्न/धागा यूं तो कपड़ा उद्योग के कई घटक है, लेकिन सूरत कपड़ा मंडी में इसकी बड़े स्तर पर शुरुआत टैक्स्च्युराइजिंग से होती है और इस इंडस्ट्री में रोजाना कई टन यार्न (धागा) की बुनाई होती है और यह बाद में वीविंग इंडस्ट्री में पहुंचता है। साउथ गुजरात टैक्स्च्युराइजिंग वेलफेयर एसोसिएशन के प्रमुख मुरारी सर्राफ बताते हैं कि कोरोना काल में पिछले साल की अपेक्षा इस साल दीपावली की रोनक सूरत कपड़ा उद्योग में अच्छी है। व्यापारिक लिहाज से अच्छी बात यह है कि उत्पादन के समक्ष मांग अधिक है और यह अच्छा दौर अगले वर्ष मार्च तक लगातार रहने की उम्मीद जताई जा रही है।
वीविंग गुजरात की औद्योगिक राजधानी सूरत महानगर में जगह-जगह वीविंग यूनिटें स्थापित है और इस दीपावली अच्छी बात यह रही कि वीविंग सेक्टर में जहां दो महीने पहले तक प्रतिदिन डेढ़-दो करोड़ मीटर ग्रे ताका (कपड़ा) बुनकर तैयार होता था वो दीपावली सीजन में साढ़े तीन से चार करोड़ मीटर तक पहुंच गया। फैडरेशन ऑफ गुजरात वीवर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रमुख अशोक जीरावाला बताते हैं कि बात यहीं तक नहीं है बल्कि अधिकांश वीवर्स (बुनकरों) के यहां जमा स्टॉक क्लीयर हो गया और नए माल का खूब ऑर्डर मिला वो भी बढ़ी हुई दर के साथ।
प्रोसेसिंग कोरोना लॉकडाउन और उसके बाद लंबे वक्त तक बाजारबंदी के कारण कपड़ा समेत सभी कामधंधे बीते करीब डेढ़ वर्ष से हाशिए पर थे। इस बार दीपावली से पहले बाजार चला तो कपड़ा बाजार में भी रौनक दिखी है। कपड़ा कारोबार के रफ्तार पकडऩे के बावजूद प्रोसेसर्स में दीपावली को लेकर उत्साह नदारद है। दक्षिण गुजरात टैक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के प्रमुख जीतू वखारिया के मुताबिक प्रोसेसर्स के लिए इस बार की दीवाली बेहतर नहीं रही। कलर-केमिकल और कोयले के लगातार बढ़ रहे दामों ने लागत बढ़ा दी, लेकिन जॉबवर्क के दाम उसके अनुरूप नहीं बढ़े हैं। इसका असर उनके कारोबार पर भी दिख रहा है। प्रोसेसर्स को उम्मीद है कि आगामी दिनों में स्थितियां सुधरेंगी।
ट्रेडिंग सूरत कपड़ा उद्योग की रीढ़ की हड्डी ट्रेडिंग से हजारों कपड़ा व्यापारी जुड़े हैं और इनमें सभी के चेहरों पर दीपावली सीजन की खुशी झलक रही है। खुशी भी ऐसी कि सिरदर्द के समान स्टॉक समय से पहले क्लीयर हो गया और नए व्यापार की तैयारियां प्रारम्भ हो गई है। युवा कपड़ा उद्यमी कैलाश हाकिम बताते हैं कि यह वक्त लम्बे अंतराल के बाद सूरत कपड़ा मंडी में आया है। मात्र दो माह पहले ही कपड़ा कारोबार की स्थिति काफी विकट थी जो आज कह सकते हैं कि दो-तीन वर्ष पहले जैसी व्यापारिक अनुकूल हो गई है। कुल जमा सूरत कपड़ा मंडी में बल्ले-बल्ले का माहौल है।
वैल्यू एडीशन कपड़ा बाजार पटरी पर लौटा तो इसका असर एम्ब्रॉयडरी जॉबवर्क पर भी दिखा है। कोरोनाकाल में हालात बिगड़े थे, लेकिन बाजार चलने पर एम्ब्रॉयडरी जॉबवर्क में भी तेजी दिखने लगी है। हालांकि कलर केमिकल और दूसरे सेग्मेंट में कच्चे माल के दाम बढऩे से जॉबवर्क को थोड़ा नुकसान भी हुआ। टैक्सटाइल एम्ब्रायडरी जॉबवर्क एसोसिएशन ऑफ सूरत के हितेश भिकाडिया ने बताया कि हालांकि जरी धागे के दामों में इजाफे के कारण जॉबवर्क के भी दाम बढ़ाने से थोड़ा असर पड़ा था। फिर भी बाजार में कपड़े की बढ़ी डिमांड के कारण इस बार की दीपावली पिछले वर्ष से काफी बेहतर है।
पैकेजिंग कोयला और कलर-केमिकल के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगातार बढ़ते दामों का असर पेपर इंडस्ट्री पर पिछले दिनों खूब देखने को मिला, यहां तक कपड़ा व्यापारियों के तैयार माल की पैकिंग तक विपरीत असर दिखा। सूरत पैकेजिंग वेलफेयर एसोसिएशन के प्रमुख बबलू मलिक ने बताया कि पेपर और प्लास्टिक के दाम बेतहाशा ऊंचे गए, लेकिन अच्छी बात यह रही कि महंगे दौर में भी पैकिंग मटीरियल की आपूर्ति सूरत कपड़ा मंडी में लगातार रही, थोड़ा-बहुत अवश्य विपरीत प्रभाव पड़ा मगर अब सब ठीकठाक है और भविष्य में इसके और अधिक ठीक होने के आसार है।
ट्रांसपोर्टेशन मात्र दो माह पहले सूरत कपड़ा मंडी से देश की अन्यत्र कपड़ा मंडियों में माल भरकर जाने वाले मालवाहक वाहनों की संख्या 35-40 थी जो दीपावली सीजन में चार सौ के भी पार चली गई है। सूरत टैक्सटाइल गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रमुख युवराज देसले बताते हैं कि दीपावली सीजन में सूरत कपड़ा मंडी का ट्रांसपोर्ट कारोबार गत दो माह में सुधरकर दस गुना तक पहुंच गया है। आगामी समय में भी ट्रांसपोर्ट कारोबार में इसी तरीके से तेजी रहने वाली है। एक और अच्छी बात यह है कि इतनी तेजी के बावजूद माल बुकिंग पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
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