प्रशासन के सख्त रवैये से बुधवार को कपड़ा बाजार के व्यापारियों व कर्मचारियों में असंतोष का माहौल बना है जो कि औद्योगिकनगरी सूरत के लिए अच्छा नहीं है। वैक्सीनेशन की उम्र मर्यादा घटाकर आरटीपीसीआर जांच केंद्र की सुविधा पहले की जानी चाहिए।
संजय जगनानी, संयोजक, व्यापार प्रगति संघ
72 दिन के लॉकडाउन से अभी तक सूरत कपड़ा मंडी का कपड़ा कारोबार उबरा नहीं है और यह व्यापारियों की बैलेंसशीट में साफ दिखता है। उस पर इस तरह की प्रशासनिक कार्रवाई होना, यह कतई व्यापार हित में नहीं है।
रिंगरोड कपड़ा बाजार में जिस तरह से प्रशासन का सख्त रवैया देखने को मिल रहा है क्या शहर के दूसरे व्यापारिक केंद्रों पर भी ऐसा ही है? कपड़ा व्यापारी प्रशासन को हरसंभव तरीके से कोविड-19 की रोकथाम में सहयोग कर रहा है।
दिनेश कटारिया, सचिव, गुडलक मार्केट
-लूटने का मिल गया बहाना
जिस तरह के हालात कपड़ा बाजार में प्रशासन ने बुधवार को पैदा किए उन्हें देखकर लगता ही नहीं कि वे कोरोना की रोकथाम के लिए काम कर रहे हैं। यह तो सीधे-सीधे व्यापारी वर्ग को लूटने का बहाना मिल गया है।
हितेश संकलेचा, व्यापारी, गुडलक मार्केट
प्रशासन के सख्त रवैये से नाराज व्यापारियों के मुताबिक आरटीपीसीआर रिपोर्ट की 72 घंटे वेलिडिटी मांग रहे हैं। एक रिपोर्ट हजार रुपए से ज्यादा में होती है। रिंगरोड कपड़ा बाजार में 80 फीसदी स्टाफ व श्रमिक कार्यरत है अब यह लोग हर तीन दिन में नई रिपोर्ट कैसे निकालकर बाजार पहुंचें। इसके अलावा कपड़ा बाजार में ज्यादातर व्यापारी, स्टाफ, श्रमिक 18 से 45 साल के हैं और उन्हें वैक्सीन दी नहीं जा रही तो वे वैक्सीनेशन की रिपोर्ट कहां से लाएं? ऐसी स्थिति में जिस तरह से रिंगरोड कपड़ा बाजार में व्यापारिक सहयोग से वैक्सीनेशन सेंटर खोले गए, इसी तरह से आरटीपीसीआर जांच केंद्र भी खोले जा जाए।