सूरत शहर के अधिकांश स्कूल ऑटो चालक नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। हाल ही में चौक बाजार में एक स्कूल ऑटो को पुलिस ने रोका तो उसमें से 20 बच्चे सवार दिखे थे। ड्राइवर के साथ कई बच्चे आगे भी बैठे थे। नियमानुसार ड्राइवर के साथ किसी बच्चे को आगे बैठाने पर रोक है। इससे ड्राइवर का ध्यान भटक सकता है और हादसा हो सकता है। शहर के ज्यादातर स्कूल ऑटो में विद्यार्थी ड्राइवर के साथ बैठकर और लटक कर स्कूल आते-जाते नजर आते हैं। ड्राइवर की बगल में वजनदार बस्ते भी लटके रहते हैं। स्कूल ऑटो क्षमता से अधिक बच्चे भरकर शहर की सड़कों पर तेज गति से दौड़ते हैं।
किराया कम, खतरा ज्यादा
स्कूल ऑटो में जितने अधिक बच्चे होते हैं, अभिभावकों को उतना कम किराया देना पड़ता है। ऑटो चालक भी जेब भरने के लिए ऑटो में बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरते हैं। कई क्षेत्रों में यह नजारा रोजना देखने को मिलता है।
पांडेसरा के पीयूष प्वॉइंट के पास शारदा स्कूल के सामने एक स्कूल ऑटो रिक्शा पलट जाने से उसमें सवार एक बच्चे की मौत हो गई थी, जबकि दो घायल हो गए थे। महादेवनगर निवासी गौरव राजू प्रजापति (8) ऑटो रिक्शा में परवत पाटिया के एडम स्कूल जाने के लिए निकला था। उसके साथ छोटा भाई दीपक (7) भी था। पांडेसरा के पीयूष प्वॉइंट के पास अचानक ऑटो रिक्शा अनियंत्रित होकर पलट गया। उसमें सवार पांच बच्चे घायल हो गए। घायलों को न्यू सिविल अस्पताल ले जाया गया। ट्रोमा सेंटर में चिकित्सकों ने गौरव को मृत घोषित कर दिया था
कुछ माह पहले नानपुरा के डच गार्डन के पास एक स्कूल ऑटो दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। तेज गति से जा रहे इस ऑटो में क्षमता से अधिक विद्यार्थी सवार थे। उनके बस्ते ऑटो में लटक रहे थे। बच्चों और बस्तों के वजन के कारण ऑटो एक तरफ झुक गया। अचानक उसके बाएं तरफ का टायर निकल गया। ऑटो पलटते-पलटते बचा। ऑटो में 13 से अधिक बच्चे सवार थे।